मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ के एक आरोपी की अपील को स्वीकार करते हुए सजा को अगली सुनवाई तक के लिए निलंबित कर दिया. जस्टिस पृथ्वीराज चौहान की सिंगल बेंच 41 वर्षीय एक उद्योगपति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उद्योगपति पर दिल्ली से मुंबई की हवाई यात्रा के दौरान 17 वर्षीय लड़की को प्रताड़ित करने का आरोप था. उसने अपने साथ हुई घटना का विवरण फ्लाइट से उतरने के बाद सोशल मीडिया पर शेयर किया था.


छेड़छाड़ मामले में हाईकोर्ट ने उठाए सवाल


2017 में निचली अदालत ने उद्योगपति विकास सचदेवा को छेड़छाड़ का दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट में आरोपी ने अपनी याचिका में निचली अदालत के फैसले को गलत बताते हुए सजा को रद्द करने की मांग की. उसके वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि निचली अदालत में पीड़िता आरोपी को पहचान नहीं पाई थी. उसने अपनी दलील में कहा कि अगर मान लिया जाए उसके मुवक्किल का पैर महिला से छू गया है तो बिना उत्पीड़न के इरादे से ये अंजाने में भी हो सकता है. इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि बिजनेस क्लास में दो सीटों के बीच काफी जगह होते हुए भी आरोपी को अपना पैर अपनी सीट के आगे क्यों रखना पड़ा ?


'महिला घूरने या स्पर्श के पीछे भावना को समझती है'


आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, "एक महिला उसे घूरने वाले या छूने वाले पुरुष के इरादे को समझती है. एक महिला भले कम जानकार हो मगर ऐसा नहीं है कि ये बात समझती नहीं. एक पुरुष घूरने और स्पर्श को भले ना समझ पाए मगर महिला इसके पीछे के इरादे को जानती है. और सिर्फ पीड़िता ही आरोपी शख्स के इरादे के बारे में बात कर सकती है."


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