नई दिल्ली:  मुस्कान भारत में यूं तो पिछले सात सालों से रह रही हैं लेकिन अपने राष्ट्र को टूटता -बिखरता देख अपने आंसू रोक नहीं पाती हैं. इसलिए भी क्योंकि उनका पूरा परिवार अब भी काबुल में मौजूद है और भाई अफगान की फौज में तालिबानियों से लड़ने की हर संभव कोशिश कर रहा है. 


वो बताती हैं कि दो वर्षों तक अफगान में पुलिस अफसर रहीं हैं लेकिन अब अफगान में फिर कोई महिला पुलिस अफसर भविष्य में होगी इसकी संभावना ना के बराबर है. वो कहती हैं कि "भारत में महिला पुलिस ऑफिसर को देख कर मुझे रोना आता है. मैं सोचती हूं एक दिन मैं भी ऐसे ही थी. अब वहां कभी महिला को हक नहीं मिलेगा. "


क्या तालिबान बदल सकता है जैसा कि वो दावा कर रहा है ? 
मुस्कान का कहना है कि तालिबान बदल जाए ऐसा संभव ही नहीं है. 20 साल पहले जैसे टॉर्चर करते थे वैसे अब भी करते हैं. औरत को काम पर जाने से, स्कूल जाने से रोकते हैं. अब एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ टॉर्चर किया जाता है. लोगों के फिंगरप्रिंट लेकर जानकारी हासिल की जाती है. 


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहते हैं कि अफगानिस्तान ने गुलामी की बेड़ियां तोड़ दी हैं. इसपर मुस्कान कहती हैं कि "कर्मा उनके साथ भी ऐसा करेगा. उन्होंने दरिंदे को हमारे पास भेजा है, उसका हिसाब उन्हें देना होगा. अफगानिस्तान से लोग पाकिस्तान काम के लिए जाते थे ,लेकिन उनके साथ ऐसा सुलूक होता था जैसा दुश्मन के साथ भी नहीं होता. "


पति ,माता पिता अब भी काबुल में लड़ रहे हैं जीने की जंग


मेरा परिवार अब भी वहीं है. मेरे पति , माता पिता, सास ससुर , दोस्त सब वहीं हैं.वो लोग वहां शादी के लिए और घूमने फिरने गए थे. लेकिन अब उन लोगों का वीजा भी कैंसल कर दिया गया है. उनसे दोबारा मिलना किसी हसीन सपने से कम नहींं है. 


भाई अफगान आर्मी में है 
अफगान आर्मी के लीडर ने अपने सैनिकों से हथियार लेकर उन्हें बेबस कर दिया, बिना हथियार के वो कैसे तालिबानियों से लड़ेंगे. मेरी अभी भाई से बात नहीं हो पा रही है. आखरी दफा जब उनसे बात हुई तो उन्होंने संदेश दिया था कि अब हम ना मिल पाएं तो आप अपना ध्यान रखना, उन्होंने बताया था कि तालिबान के पास नई तकनीक आई है जहां वो लोगों के फिंगरप्रिंट लेते हैं. 


भारत सरकार से अपील करते हुए मुस्कान कहती हैं कि "अफगानी सिखों की तरह अगर वहां से हमारे लोगों को भी एयर लिफ्ट किया जाए तो बहुत एहसान होगा. "


अफगानिस्तान में कैसे हैं मौजूदा हालात ?


अभी वहां खाना पीना तक लोगों को नहीं मिल रहा है. उनकी उम्मीद थी कि भारत आए लेकिन वीजा कैंसल कर दिया है. वहां बिजली नहींं है, इंटरनेट कभी आ रहा है कभी बंद कर दिया जाता है, पीने का पानी नहीं है. दुकानें सभी बंद हैं इसलिए खाना तक लेने नहीं जा पा रहे लोग. लोग अपने घरों में नहीं रह रहे हैं क्योंकि रात में तालिबानी घर की तलाशी लेते हैं और दस्तावेज निकाल पर पूछते हैं कितने सदस्य हैं और कहां कहां हैं ? 


क्या महिलाओं को तालिबान के राज में  जगह मिल सकती है ?
वहां महिलाएं बालकनी में तक खड़ी नहीं हो सकती हैं.  तालिबानी बालकनी में महिला के खड़े होने पर आपत्ति करता है वो कैसे महिला को काम और पढ़ने को भेज सकता है. उन्होंने रेडियो और म्यूजिक महिलाओं के लिए बंद कर दिया है. वहां अब महिलाओं की बात करने वाला कोई नहीं होगा. 


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