एक साल बाद तब्लीगी जमात मरकज खुला, शब-ए-बारात पर 50 लोगों ने नमाज अदा की
पिछले एक साल से दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में ताला लगा था जिसे रविवार को खोल दिया गया लेकिन पुलिस की चप्पे-चप्पे पर नजर थी.
पिछले साल मार्च में निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में बिना अनुमति सैकड़ों लोग जमा थे. कोविड-19 महामारी फैल चुकी थी. जब पुलिस को इस बारे में पता चली तो पूरे देश में हंगामा मच गया. पुलिस ने इसे खाली करना शुरू किया जिससे जमात के लोग जहां-जहां गए वहां कोरोना के मामले में तेजी से बढ़ने लगे. कई दिनों तक यह मामला गरमाता रहा. अब एक साल बाद रविवार को शब-ए-बारात के दिन मरकज का दरवाजा खोला गया. हालांकि चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती थी और पहले से अनुमति लिए हुए सिर्फ 50 लोगों को अंदर जाने दिया गया.
सभी का आईडी चेक हुआ
छह मंजिला इमारत के इस मरकज में पुलिस ने सभी का आइडेंटी कार्ड चेक किया और जिसे पहले से थाने में अनुमति मिली थी, सिर्फ उसे ही जाने दिया. पिछले साल मार्च में कोविड-19 गाइडलाइन का उल्लंघन कर मरकज में सैंकड़ों लोग कई दिनों से जमा थे. इसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे. इसके बाद मरकज को सील कर दिया गया था. यह इलाका कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया था.
हमें तो मानव बम बना दिया गया था पिछले सप्ताह केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को मरकज के अंदर जाने की अनुमति होगी. मरकज के अंदर मस्जिद में ये लोग नमाज पढ़ सकते हैं. त्योहार के दिन ये लोग स्थानीय थाने से अनुमति लेकर अंदर जा सकते हैं. रविवार को तब्लीगी जमात के एक सदस्य ने बताया कि मरकज को खोलना अच्छा कदम है लेकिन इसमें जाने की अनुमति और लोगों को देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें कोविड गाइडलाइन का पालन करने में खुशी है लेकिन अन्य जगहों पर कोविड गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज जहां चुनाव हो रहे हैं, वहां कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है. वहां भी नियम को सख्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले साल सरकार और मीडिया ने हमें मानव बम दिया था जबकि सच्चाई यह थी कि जिस तरह अन्य जगहों पर लॉकडाउन में लोग फंस गए थे, उसी तरह हम लोग भी यहां फंसे हुए थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दी थी इजाजत इससे पहले दिल्ली हाईकोर्टट ने शब-ए-बरात और रमज़ान को देखते हुए तब्लीग़ी जमात के मरकज़ का ताला खोले जाने की इजाज़त दे दी. न्यायालय ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के वकीलों के इस आग्रह को स्वीकार करते हुए इजाज़त दी कि जल्द ही रमज़ान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है और उससे पहले शबे-ए-बारात भी आने वाली है जिसमें मुसलमान विशेष रूप से प्रार्थना और इबादत करते हैं. हालांकि अदालत ने इजाज़त देते हुए तबलीगी जमात के मरकज़ में मात्र 50 लोगों को ही प्रवेश करने की अनुमति दी है जिनके नाम व पते स्थानिय पुलिस थाने में जमा कराने होंगे. जहां से स्थानीय थाना इंचार्ज अनुमति पत्र जारी करेंगे.
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