आधार कार्ड ने बुजुर्ग को घर पहुंचाने में की मदद
मुथैया नादर की मानसिक हालात देखते हुए लोगों ने उन्हें भिखारी समझा था. वह किसी तरह सरेनी थानाक्षेत्र के रालपुर स्थित स्वामी भास्कर स्वरूप के आश्रम पहुंचे और वहां उन्हें रहने खाने को दिया गया. उनके पास मौजूद आधार कार्ड से उनके मूल निवास की पहचान हुई.
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रायबरेली: आधार कार्ड को लेकर देश जारी बहस के बीच एक ऐसा वाकया सामने आया है जिसे आधार कार्ड के उपयोगी होने का सबूत समझा जा सकता है. आधार कार्ड के जरिए किसी खोए हुए व्यक्ति का मिल जाना उपयोगी नहीं तो और क्या है. दरअसल, ट्रेन में जहरखुरानी गिरोह का शिकार बने तमिलनाडु के बुजुर्ग को उसके घर पहुंचाने में आधार कार्ड मददगार साबित हुआ.
अपर पुलिस अधीक्षक शशि शेखर सिंह ने बताया कि मुथैया नादर की मानसिक हालात देखते हुए लोगों ने उन्हें भिखारी समझा था. वह किसी तरह सरेनी थानाक्षेत्र के रालपुर स्थित स्वामी भास्कर स्वरूप के आश्रम पहुंचे और वहां उन्हें रहने खाने को दिया गया. उनके पास मौजूद आधार कार्ड से उनके मूल निवास की पहचान हुई.
आधार कार्ड के जरिए पता चला कि वह तमिलनाडु के रहने वाले हैं. उनके पास से मिले फोन नंबर पर जब फोन किया गया तो परिवार वालों से आश्रम की बात हो गयी. नादर दरअसल मुंबई से तमिलनाडु जा रहे थे. वह रास्ते में जहरखुरानी गिरोह के शिकार हो गये और रायबरेली पहुंच गये.
उन्हें चूंकि हिन्दी बोलना नहीं आता था इसलिए स्थानीय लोगों ने उन्हें भिखारी समझा. फोन पर बात होने के बाद नादर की बेटी गीता उन्हें लेने आयी. पता लगा कि वह करोड़पति व्यक्ति हैं. अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नादर अब अपने घर के लिए रवाना हो गये हैं.
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