नई दिल्ली: देश का बजट पेश होने में कुछ घंटे का ही समय बचा है. कल यानी 1 फरवरी 2018 को वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का आम बजट पेश करेंगे. बजट सत्र से पहले पीएम मोदी के इशारे से अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार का बजट मिडिल क्लास के फायदे का होगा. सरकार सीधे तौर पर शहरी नौकरीपेशा लोगों को आयकर में छूट दे सकती है.


कितनी छूट दे सकती है सरकार, क्या होगा असर?
अनुमान है कि सरकार टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती है. ऐसे में 3-5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी का टैक्स लग सकता है. 5-10 लाख तक की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स का अनुमान है. जबकि 10 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 फीसदी का टैक्स लग सकता है.


टैक्स छूट में बढोतरी की गई तो क्या होगा?
अगर टैक्स छूट की सीमा में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई तो SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल 75 लाख करदाता आयकर के दायरे से बाहर हो जाएंगे. इस कदम से सरकार को करीब साढ़े 9 हजार करोड़ का नुकसान होगा. नोटबंदी के बाद से तमाम कोशिशों के बाद सरकार 18 लाख नए लोगों को आयकर के दायरे में लाने में कामयाब हो पाई. ऐसे में सरकार के मन में टैक्सपेयर्स की संख्या में कमी की चिंता जरूर होगी.


5 लाख तक आमदनी वालों को 2500 का मुनाफा, 80C की सीमा भी बढ़ सकती है
अनुमानित टैक्स स्लैब से कम आमदनी वाले लोगों को फायदा दिख रहा है. 5 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को 2500 रुपये का मुनाफा हो सकता है. चुनावी साल में पेश होने वाले इस बजट में स्टैंडर्ड डिड्क्शन में छूट दी जा सकती है यानी 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये छूट की सीमा भी बढ़ायी जा सकती है.


होम लोन लेने वालों के लिए बजट में क्या?
बजट से एक ऐसे वर्ग की भी बड़ी उम्मीदें हैं जिन्हें अपने घर की तलाश रहती है. सूत्रों के मुताबिक होम लोन लेने वालों के लिए कुछ अच्छी खबर आ सकती है.


बजट में मिडिल क्लास की नज़रें होम लोन पर भी टिकी हुई हैं. उम्मीद की जा रही है कि होम लोन के बदले इनकम टैक्स पर मिलने वाली छूट बढ़ जाएगी. इनकम टैक्स की मौजूदा व्यवस्था में होम लोन पर डेढ़ लाख रूपए तक की मूल रकम और दो लाख रूपए तक दिए गए ब्याज यानी कुल साढ़े तीन लाख रूपए की छूट मिलती है. खबर है कि ब्याज पर दो लाख रूपए की छूट को बढ़ाकर ढाई लाख किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो करीब 75 लाख लोगों को इसका फायदा मिलेगा.


पेट्रोल-डीजल की कीमत
कल आने वाले बजट में आम लोगों की नजर इस बात पर भी टिकी हैं कि रोजाना बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों को काबू में करने के लिए क्या मोदी सरकार एक्साइज ड्यूटी में कोई कमी करेगी? बजट से पहले चर्चा इस बात की गर्म है क्योंकि पेट्रोल के 70 रुपये के पार जाने की एक बड़ी वजह उस पर वसूला जाने वाला टैक्स है.


कुल मिलाकर एक लीटर डीजल के दाम पर राज्य और केंद्र सरकार का करीब 40 फीसदी टैक्स लगता है. तो एक लीटर पेट्रोल पर राज्य और केंद्र सरकार का करीब 49 फीसदी का टैक्स लगता है. अगर मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर आम आदमी को राहत पहुंचाना चाहती है तो एक्साइज ड्यूटी में कमी करना जरूरी है.


लेकिन वित्त मंत्री के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं. सरकार जहां नोटबंदी और जीएसटी के असर से अर्थव्यवस्था के उबरने का दावा कर रही है. तो दूसरी ओर सरकारी खजाने के घाटे की जो मौजूदा स्थिति है वो सरकार को अपने हाथ खोलने की इजाजत नहीं देती. फिर भी देखना होगा कि चुनावी साल से पहले केंद्र सरकार मोटी कमाई वाली एक्साइज ड्यूटी को कम करने का साहस दिखा पाती है या नहीं.


4 अक्टूबर 2017 को केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी. जिसके चलते सरकार को 2017-18 में 13 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है.


किसानों के लिए बजट में क्या होगा खास?


उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ज्यादा रकम का प्रावधान होगा. सस्ते कर्ज के लिए ज्यादा सब्सिडी का भी ऐलान हो सकता है. मध्य प्रदेश और हरियाणा की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत मिलने की स्थिति में किसानों को मदद की सौगात मिल सकती है.


इसके अलावा सरकार अन्नदाता योजना को 10 हजार से 15 हजार करोड़ का बजट दिया जा सकता है. योजना के तहत सभी 23 फसलों की खरीद और भंडारण करने को कहा जाएगा. अभी 2-3 फसलों को छोड़ सरकार ज्यादातर फसलों की खरीद और भंडारण नहीं करती.


किसान मशीनरी केंद्र की स्थापना हो सकती है जहां सस्ते दर पर खेती के उपकरण किराए पर लिए जा सकते हैं. देश भर के एक हजार ग्रामीण क्षेत्रों में हाट और ऑर्गेनिक हब बनाए जाने की घोषणा हो सकती है. हर परिवार को छत के तहत मिलने वाली राशि बढ़ायी जा सकती है जिससे 2022 तक का लक्ष्य पूरा हो सके. तो कुल मिलाकर बजट में किसानों के लिए जो बड़ीं बातें निकलकर सामने आ रही हैं उसके मुताबिक फसल खराब होने की सूरत में ज्यादा मुआवजा मिल सकता है. खेती के लिए कर्ज और ज्यादा सस्ता हो सकता है. करीब-करीब सभी फसलों की खरीद सरकार कर सकती है. खराब होने वाली फसलों के भंडारण की व्यवस्था अच्छी हो सकती है. हर किसान को पक्के मकान के लिए और ज्यादा पैसे मिल सकते हैं.


रेल बजट में क्या खास?


रेल बजट अब भले ही अलग से पेश नहीं होता है लेकिन मोदी सरकार ये साफ कर चुकी है कि रेलवे का विकास और रेलयात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देना उसकी प्राथमिकता में है. इसी के तहत ये उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में 3000 स्टेशनों पर एस्केलेटर यानी स्वचालित सीढ़ियां लगाने की घोषणा हो सकती है. इसके अलावा 1000 स्टेशनों पर लिफ्ट लगाने का एलान भी हो सकता है. रेल यात्रा का वक्त कम करने के मकसद से ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ाई जाएगी. ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी जिनकी रफ्तार 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा हो.


अभी राजधानी और शताब्दी तेज रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों में शुमार हैं. बजट में इनसे आगे बढ़कर विश्वस्तरीय सुविधाओं वाली ट्रेनों का एलान हो सकता है, जिनका किराया 20 से 25 फीसदी अधिक हो सकता है.


बजट में 4 हाई स्पीड कॉरीडोर बनाने की घोषणा हो सकती है. ये दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-मुंबई, मुंबई-चेन्नई और चेन्नई-कोलकाता हो सकते हैं. इसके अलावा बजट में सभी प्रमुख रेलमार्गों के 100 फीसदी विद्युतीकरण और नए सिग्नल सिस्टम से जुड़ा एलान भी हो सकता है.


बड़ी बात ये है कि इन सुविधाओं के एवज में फिलहाल रेल किराए बढ़ने के आसार नहीं है.