(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बजट 2018: जेटली की पोटली से अन्नदाता के लिए क्या निकला?
Union Budget 2018-19: किसानों के लिए बजट में बड़े एलान न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि ऋण को लेकर किए गए.
नई दिल्ली: मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश करने आए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मिडिल क्लास को झटका दिया है. इकोनॉमिक एक्सपर्ट की मानें तो बजट में मिडिल क्लास के लिए कुछ भी नहीं है. मिडिल क्लास के लिए यह बजट महज एक लॉलीपॉप की तरह है.
किसान की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा चुनावी साल में मोदी सरकार ने सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ाने का एलान किया. सरकार ने देश के किसानों को भरोसा दिया है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी.
किसानों के लिए क्या है खास; बेहद आसान भाषा में समझें
- बजट में किसानों को सभी फसलों के लिए पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का एलान किया गया है. इससे पहले कुछ ही फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता था और किसानों की शिकायत थी कि फसल का दाम नहीं मिलता.
- आलू, टमाटर, प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए 500 करोड़ की लागत से मिशन ऑपरेशन ग्रीन्स चलेगा.
- किसानों को खेती के लिए सरकार 11 लाख करोड़ का कर्ज देगी
- सरकार 2 हजार करोड़ की लागत से पूरे देश में कृषि बाजार बनाएगी
- किसानों को राहत देने के लिए किसान उत्पाद कंपनियों को 100 फीसदी टैक्स छूट मिलेगा
- 42 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे और 1290 करोड़ से बांस मिशन चलाया जाएगा
- किसानों को पशु पालन और मछली पालन के लिए 2 नए फंड मिलेंगे
- सरकार 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर किसानों के लिए 2 नए फंड बनाएगी
बजट के बाद क्या बोले प्रधानमंत्री और कृषिमंत्री? बजट में किसानों का खास ख्याल रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली की जमकर पीठ थपथपाई. वहीं कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बजट को किसानों के लिए सबसे बेहतरीन बजट करार दे दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा, ''यह देश के विकास को बढ़ाने वाला बजट है. किसान, विकास, व्यापार फ्रेंडली बजट है. किसानों को फसल का डेढ़ गुना फायदा मिलेगा.'' राधामोहन सिंह ने कहा, ''हमने अपना चुनावी वायदा पूरा किया है आज़ाद भारत में किसानों के लिए इतना बड़ा काम कभी नहीं हुआ.''
देश अन्नदाता की स्थिति क्या है? देश में किसान की औसत कमाई 6426 रुपए प्रति महीना है. जबकि घर खर्च पर किसान को हर महीने 6223 रुपए खर्च करने पड़ते हैं. 80 फीसदी किसान अभी भी झोपड़ी या कच्चे-पक्के घरों में रहते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ 44 फीसदी किसान ही तीन वक्त का खाना रोज खा पाते हैं. देश के हर किसान पर औसतन करीब 47 हजार रुपए का कर्ज है.
देश का दुर्भाग्य है कि करीब 12 हजार किसान हर साल खुदकुशी कर लेते हैं. आजादी के सात दशक बाद भी देश के 27 करोड़ किसानों की मासिक आय सिर्फ 6426 रुपए है.