नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज बजट पेश करते हुए ईमानदार आम आदमी की जमकर तारीफ की. वित्त मंत्री ने कहा कि एक समय था जब भ्रष्टाचार शिष्टाचार का अंग बन गया था. आज हमारे नागरिक विशेष रूप से नवयुवक वर्ग ईमानदारी का जीवन बिताने को तत्पर हैं.
आम आदमी की इस ईमानदारी की तारीफ करते हुए वित्त मंत्री ने प्रीमियम ऑन ऑनेस्टी मतलब ईमानदारी का इनाम का ईनाम दिया. मोदी सरकार के 2018-19 के लिए पेश मोदी सरकार के बजट में नौकरीपेशा लोगों को कोई राहत नहीं मिली.
पुराना इनकम टैक्स स्लैब कायम रहेगा लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन के नाम पर थोड़ा बदलाव जरूर आया है. स्टैंडर्ड डिडक्शन से मिलने वाली ये राहत सिर्फ नाम मात्र की ही है.
यहां समझें ईनाम के नाम पर आम आदमी के साथ क्या हुआ?
व्यक्तिगत करदाता को पूरे बजट में छूट के नाम पर तनख्वाह में 40 हजार रुपए की छूट दी गयी है. उदाहरण के लिए अगर आपकी तनख्वाह 500000 रुपए सालाना है तो उसमें से 40000 हटा कर कर 460000 रुपए पर कर लगेगा पर ये छूट देने के लिए सरकार ने एक हाथ दे दूसरे हाथ ले वाली चाल चली.
दरअसल अब तक वेतनभोगी की तनख्वाह से हर महीने मेडिकल सुविधा और ट्रांसपोर्ट अलाउंस के नाम पर तय रकम कटती थी. साल के अंत में बिल लगा कर डॉक्टरी इलाज के नाम पर 15 हजार और यात्रा भत्ता के नाम पर 19 हजार 200 रुपए की रकम वापस मिल जाती थी जो कि कुल मिलाकर 34 हजार 200 रुपए होती थी.
इसका मतलब हुआ कि वित्तमंत्री जी ने ईमानदार करदाता से 34 हजार 200 रुपए लेकर 40000 दे दिए. जबकि वास्तव में मिले केवल 5800 रुपए, यानि दिए 5800 और 40 हजार का हल्ला मचा दिया.
स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद कितना बचेगा?
इसे ऐसे समझें कि अगर आपकी सैलरी सालाना 5 लाख से कम है तो सेस लगा कर 177 रुपये सालाना बचेंगे. अगर 10 लाख सालाना सैलरी है तो सेस लगा कर सिर्फ 82 रुपये बचेंगे. अगर 15 लाख तक सैलरी है तो सेस और सरचार्ज लगाकर 815 रुपये का नुकसान होगा. इसका मतलब है कि यानि सरकार ने ईमानदारी का प्रीमीयम सालाना 82-177 रुपये तक तय किया है.
ऐसे समझें नौकरीपेशा के साथ 'धोखा' कैसे हुआ?
पिछले वित्त वर्ष में तनख्वाह पाने वाले 1 करोड़ 89 लाख कर्मचारियों ने 1 लाख 44 हजार करोड़ रुपये आयकर चुकाया. यानी औसतन हर नौकरीपेशा ने 76 हजार 306 रुपये टैक्स भरा. ये देश में कर चुकाने वाले वर्ग में सबसे ज्यादा है.
इसके मुकाबले 1 करोड़ 88 लाख व्यापारी करदाताओं ने महज औसतन 25 हजार 753 रुपए ही देश को कर दिया है. सरकार ने उस ईमानदार करदाता को सिर्फ 80 से 800 रुपए की बचत दी.
बजट में आम आदमी को लगा सेस का झटका
नोटबंदी के बाद हुई टैक्स से कमाई को ईमानदारी का उत्सव बताते हुए वित्त मंत्री ने सेस बढ़ाने का एलान भी कर दिया. इनकम टैक्स में तो छूट नही दी उल्टे इनकम टैक्स पर लगने वाला सेस बढ़ा दिया. शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर लगने वाले 3 फीसदी सेस के अब 4 फीसदी कर दिया गया है.
इसे ऐसे समझें, मानिए कि पिछले साल आपका इनकम टैक्स 25 हजार हुआ. इस पर 3 फीसदी के हिसाब से 750 रुपये सेस का देना पड़ा. इस बार आपका टैक्स अगर 25 हजार रुपये ही रहा तो 250 रुपये ज्यादा देने पड़ेंगे यानी 1000 रुपये सेस लगकर 26 हजार भरना पडे़गा.
आम आदमी को तीसरा झटका: पेट्रोल पर भी छूट नहीं
बजट भाषण खत्म होते ही दोपहर एक बजे खबर आई कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करके तेल 2 रुपये सस्ता कर दिया गया है. लेकिन उसी बजट में पेट्रोल और डीज़ल पर 8 रुपए का नया 'रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस' लगा दिया.
इसके साथ ही पुराना 6 रुपये का सेस खत्म कर दिया, यानी पेट्रोल और डीज़ल पर दो रुपए सेस बढ़ गया. इसलिए दो रुपए सेस बढ़ने और 2 रुपए एक्साइज़ ड्यूटी घटने से पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई कमी नहीं हुई.