आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने मंगलवार को पूर्वी दिल्ली नगर निगम पर आरोप लगाते हुये कहा कि ईडीएमसी ने डि-सेंट्रेलाइज्ड री-साइक्लिंग प्लांट का टेंडर एक प्राइवेट कंपनी को दिया था, जिसका सारा पैसा बीजेपी हड़प गई. पर्यावरण समिति ने जब इस पर सवाल उठाया तो बीजेपी शासित एमसीडी के पास कोई जवाब नहीं था. उल्टा पूर्वी दिल्ली के विधायकों से प्लांट के लिए पैसों की मांग की गई.


आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार से 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन लेने के बावजूद बीजेपी के पास प्लांट के लिए पैसा नहीं हैं. आतिशी ने मांग करते हुये कहा कि बीजेपी जवाब दे कि 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन का पैसा कहां गया? आतिशी ने कहा कि दिल्ली की साफ-सफाई और कूड़े का प्रबंधन नगर निगमों की मुख्य ज़िम्मेदारी है. यह एमसीडी एक्ट है और यह कूड़े के प्रबंधन को एमसीडी की मुख्य ज़िम्मेदारी बताता है. बीजेपी ने 15 सालों के शासन में कूड़े का कितना अच्छा प्रबंधन किया है, उसका प्रमाण दिल्ली के तीन बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ हैं, जो दिल्ली में घुसते ही दिखाई देते हैं.


इस पर आतिशी ने कहा कि 'हम महीने भर से देख रहे हैं कि गाजीपुर में जो कूड़े का पहाड़ है, उसमें गर्मी के मौसम में अब हर हफ्ते आग लग रही है. पिछले 15 दिनों में वहां दो बड़ी आग लग चुकी है. जिसका नतीजा यह है कि पूर्वी दिल्ली के पूरे इलाके के लोगों के घरों में बहुत ही जहरीला धुआं पहुंचता है. जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियां बच्चों, बुजुर्गों और जवानों को होती हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? वहां पर कुतुबमीनार की लंबाई का 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ खड़ा है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ बीजेपी ज़िम्मेदार है. पिछले 15 सालों में बीजेपी ने कुछ भी नहीं किया, जिससे उस कूड़े के पहाड़ का निस्तारण हो सके.'


आतिशी ने बताया कि कुछ दिन पहले गाजीपुर के इस कूड़े के पहाड़ पर आग लगने पर दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उप-अधिकारियों को यह जानने के लिए समन किया कि उस कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए उनकी क्या योजना है और वह क्या करेंगे? जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उस पहाड़ पर और कूड़ा नहीं आ रहा है. एमसीडी के अधिकारियों ने समिति के सामने यह माना कि उस कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए न तो कोई योजना है, न पैसा है और शायद न ही योग्यता है कि वह उसे हटा सकें.


आप विधायक आतिशी का कहना है कि आज ईस्ट दिल्ली के नगर निगम ने पूर्वी दिल्ली के सभी विधायकों को एक पत्र लिखा है कि हम गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़ा न भेजा करें, इसलिए हमें डिसेंट्रेलाइज्ड रीसाइक्लिंग प्लांट लगाने हैं. लेकिन हमारे पास उसके लिए पैसा नहीं है. इसलिए आप हमें एमएलए लैड फंड से पैसा दें, क्योंकि फंड की कमी के कारण निगम यह कार्य नहीं कर पा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि 15 सालों में पहली बार निगम को याद आया है कि उन्हें वेस्ट मैनेजमेंट का भी कोई काम करना है. ईस्ट एमसीडी कह रही है कि हमारे पास अपना काम करने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं.


आतिशी ने कुछ दस्तावेज दिखाते हुये कहा कि दिल्ली सरकार ने ईस्ट एमसीडी को 2013-14 में कांग्रेस ने अपने शासन काल में 146 करोड़ दिए गए थे. 2014-15 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन था, तब बीजेपी ने 163.55 करोड़ दिए गए थे. वहीं, दिल्ली सरकार ने 2018-19 तक उसको बढ़ाकर 1260 करोड़ कर दिया. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने ईस्ट एमसीडी को बार-बार लोन भी दिया है.


आतिशी ने कहा कि ईस्ट एमसीडी को 1940 करोड़ का लोन और उसका ब्याज दिल्ली सरकार को देना है. 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन, यह सारा पैसा कहां गया? इस दौरान आतिशी ने एक और आरोप लगाते हुये कहा कि आज एक और मामला सामने आया है कि अलग-अलग कंपनियों को, जिनको ईस्ट एमसीडी द्वारा टेंडर दिए जाते हैं, उनके साथ भी बीजेपी की सांठगांठ है.


टेंडर से जुड़े दस्तावेज दिखाते हुये आतिशी ने कहा कि जो 3 अप्रैल 2019 में ईस्ट एमसीडी ने टेंडर निकाला, इस टेंडर के आधार पर एक प्राइवेट कंपनी को पूरी ईस्ट एमसीडी का कूड़ा प्रबंधन का करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत स्पष्ट लिखा हुआ है कि रीसाइक्लिंग प्लांट बनाने की ज़िम्मेदारी इस प्राइवेट कंपनी की होगी. इसमें आगे और स्पष्टतौर पर लिखा है कि न सिर्फ सूखे कूड़े की,  बल्कि सारे गीले कूड़े का भी डिसेंट्रेलाइज्ड रीसाइक्लिंग और उसके लिए प्लांट बनवाना इस प्राइवेट कंपनी ही जिम्मेदारी होगी.


आतिशी ने कहा कि ईडीएमसी एक प्राइवेट कंपनी को प्लांट लगाने के लिए पैसा देती है. और आज वह दिल्ली सरकार से फिर से पैसा मांग रही है. पहले कॉन्ट्रैक्ट देने में भ्रष्टाचार करते हैं, प्राइवेट कंपनियों से पैसा खाते हैं. और आज जब दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति दबाव बनाती है कि रीसाइक्लिंग प्लांट कहां हैं तो प्राइवेट कंपनी अब इनके प्लांट बनाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि सारा पैसा तो नेताओं की जेब में जा चुका है. आतिशी ने इस मामले में आगे कहा कि जो भ्रष्टाचार पिछले 15 सालों में एमसीडी के अंदर हुआ है उसको लेकर दिल्ली की जनता मांग कर रही है कि मोदी और अमित शाह अब उसकी ज़िम्मेदारी अपने हाथों में लें और इस घोटाले की जांच करें.


इसे भी पढ़ेंः
UGC के चेयरमैन का बड़ा एलान, अब एक साथ 2 फुल टाइम डिग्री हासिल कर सकेंगे छात्र


UP MLC Election में इन दो सीटों पर 'भीतरघात' का शिकार हुई बीजेपी! हारने वाले उम्मीदवारों का आरोप- लोकल नेताओं ने दिया धोखा