Delhi Assembly Special Session: आज दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. हालाँकि इस सत्र को लेकर उपराज्यपाल पहले ही आपत्ति जता चुके हैं. इस मामले में उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर कहा था कि इस तरह से विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया जा सकता ये नियमों के खिलाफ है. 


बावजूद इसके दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र सुबह 11 बजे शुरू हुआ. सदन की शुरूआत में ही उपराज्यपाल की आपत्ति पर चर्चा शुरू हुई. इस मामले पर बोलते हुए आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली विधानसभा सदन में कहा कि "एलजी साहब ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी जबकि मुख्यमंत्री सीबीआई दफ्तर में पूछताछ में शामिल थे और एलजी साहब ने ये चिट्ठी मीडिया को दे दी. एलजी दफ्तर से इस तरह पत्र का लीक हो जाना गंभीर विषय है. एलजी दफ्तर द्वारा खबर प्लांट की गई. वहीं, एलजी दफ्तर द्वारा मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी के मामले में जांच होना चाहिए कि आखिर चिट्ठी कैसे लीक हुई." 


दिल्ली सरकार के सिफारिश पर- सौरभ भारद्वाज


सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा, दिल्ली विधानसभा को अधिकार है कि दिल्ली सरकार के सिफारिश पर दिल्ली विधानसभा के स्पीकर सत्र को जब चाहें बुला सकते हैं. उन्होंने कहा दिल्ली विधानसभा एलजी हाउस, विधायक को और सभी बाबुओं की तनख्वाह देता है. राजनीतिक कारणों से उपराज्यपाल साहब को सुप्रीम नहीं बनाए बल्कि दिल्ली विधानसभा सुप्रीम है. उन्होंने आगे कहा, दिल्ली विधानसभा के बारे में झूठ प्रसारित किया जा रहा है जबकि इसी दिल्ली विधानसभा के लिए कई लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है. एलजी द्वारा दिल्ली विधानसभा हाउस की प्रिवलेज पर सवाल उठाया गया है जो गलत है. सौरभ भारद्वाज ने कड़े शब्दों में कहा कि दिल्ली विधानसभा को पावर देश के किसी प्रधानमंत्री ने नहीं दी है बल्कि देश के संविधान ने दी है और हम स्पीकर के साथ हैं.


दरअसल बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने सदन में सवाल उठाया था कि आज किस नियम के तहत सत्र बुलाया गया है क्योंकि उपराज्यपाल का कहना है कि सदन बुलाने की ये प्रक्रिया ठीक नहीं है. इसके जवाब में दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिडलान जो आज सदन की अध्यक्षता कर रही हैं. उन्होंने कहा, नियम 17(2) के तहत बुलाया गया है और विधानसभा अध्यक्ष को अधिकार है कि कैबिनेट की सिफारिश पर वो जब चाहे सदन बुला सकते हैं. राखी बिडलान ने कहा कि उपराज्यपाल का लिखा नोट हमारे पास पहुंचने से पहले ही मीडिया में शेयर किया जा चुका है. 


इस मामले को सदन की विशेषाधिकार समिति को सौंपी जा रही है. समिति इसकी जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी जिससे ये पता किया जा सके कि क्या इस मामले में विशेषाधिकार हनन हुआ है और क्या सदन की अवमानना हुई है? साथ ही क्या उपराज्यपाल को समिति के समक्ष पेश होने के लिए समन दिए जा सकते हैं या नहीं? 


सदन बुलाकर मज़ाक बनाया जा रहा है- बीजेपी


वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि विधानसभा में दिल्ली के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही. सदन बुलाकर मज़ाक बनाया जा रहा है. किसी मक़सद के साथ सदन को अनिश्चित काल के स्थगित किया जाता है. विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यह प्रथा बन गई है कि साल में एक बार सदन बुलाओ फिर उसे अनिश्चित काल के लिये स्थगित करो और फिर पूरे साल स्पेशल सेशन के नाम पर बुलाते रहो. अब उपराज्यपाल की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए सदन का इस्तेमाल हो रहा है.


दरअसल अचानक से बुलाये गए इस विशेष सत्र को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल ने आपत्ति दर्ज की थी. उपराज्यपाल ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्य सचिव को पत्र में लिखा था कि ये मेरी समझ से बाहर है कि आख़िर किन नियमों के तहत बजट सत्र के दूसरे भाग के नाम पर विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. उपराज्यपाल ने एक दिवसीय सत्र को बुलाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए लिखा कि 29 मार्च को बजट के बाद विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी. उपराज्यपाल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उचित प्रक्रिया के बिना सदन बुलाने की सिफ़ारिश की गई और 17 अप्रैल को बुलाया गया. एक दिवसीय विशेष सत्र नियमों के तहत नहीं है इसलिए इसे नहीं बुलाया जाए.


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