नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र की मोदी सरकार के बीच तनातनी जारी है. केजरीवाल धरना से उठने को तैयार नहीं हैं तो वहीं उप-राज्यपाल अनिल बैजल उनसे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं. यानि दिल्ली में राजनीतिक संकट जैसी स्थिति बनी हुई है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की दो अहम सहयोगियों शिवसेना और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का केजरीवाल को साथ मिला है.
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने कहा कि उनके साथ (केजरीवाल) जो हो रहा है वो सही नहीं है. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ''अरविंद केजरीवाल का ये मूवमेंट अपने आप में अनोखा है. इस मामले पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने खुद अरविंद केजरीवाल से फोन पर बात की है.'' उन्होंने बताया, ''उद्धव ठाकरे ने कहा है कि केजरीवाल दिल्ली के लिए अच्छा कर रहे हैं. केजरीवाल की सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार है. अभी जो कुछ भी दिल्ली में हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.''
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भी केजरीवाल के प्रति हमदर्दी दिखाई है. जेडीयू नेता पवन वर्मा ने कहा, ''मुख्य सचिव के साथ दुर्व्यवहार के बाद, जब सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस बात का आश्वासन दिया था कि दोबारा ऐसा नहीं होगा तो आईएएस अधिकारियों को अब फौरन अपने काम पर लौट जाना चाहिए. उन्हें दिल्ली वासियों के लिए ऐसा करना होगा.'' उन्होंने कहा, ''जो अधिकारी निर्वाचित सरकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं शायद उन्हें तत्काल राजनीतिक तौर पर कुछ फायदा मिल जाए लेकिन ये हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.''
इन दलों का पहले ही मिल चुका है साथ
शिवसेना जहां लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रही है. वहीं जेडीयू भी नोटबंदी, पेट्रोल डीजल की कीमत, विशेष राज्य के दर्जे के मसले पर सरकार से अलग राय रखती रही है. अब इन दोनों दलों ने केजरीवाल का साथ दिया है. जेडीयू और शिवसेना से पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी), एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), नेशनल कांफ्रेंस और वामदलों ने केजरीवाल का साथ दिया था.
ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, एचडी कुमार स्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने पिछले दिनों केजरीवाल के समर्थन में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि बीजेपी इस संवैधानिक संकट को दूर करे. केंद्र एक चुनी हुई सरकार को परेशान कर रही है. दरअसल, करीब तीन महीने पहले दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई कथित मारपीट के बाद आईएएस अधिकारी हड़ताल पर चले गये थे. केजरीवाल सरकार का आरोप है कि अधिकारी बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. जिससे की कई विधायी कार्य रुके हुए हैं.
कांग्रेस का नहीं मिल रहा साथ
अरविंद केजरीवाल के धरना प्रदर्शन को बीजेपी और कांग्रेस नौटंकी बता रही है. इस मामले में सबसे बड़ी मुसीबत कांग्रेस के सामने है. कांग्रेस से अलग ज्यादातर विपक्षी दलों का केजरीवाल को साथ मिल रहा है. यहां तक की हाल ही में कांग्रेस के सहयोग से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने कुमारस्वामी भी केजरीवाल का समर्थन कर चुके हैं. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के रुख पर निशाना साधा है. आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस को निश्चित रूप से सोचना चाहिए जब जब मणिपुर, उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या हुई सबसे पहले AAP ने कांग्रेस से पहले आवाज़ उठाई. दिल्ली में लोकतंत्र की हत्या हो रही है और कांग्रेस की यह चुप्पी राजनैतिक इतिहास में काले अक्षरों में लिखी जाएगी.
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आठवें दिन केजरीवाल का धरना
आईएएस अधिकारी काम पर लौट जाएं इस मांग के साथ केजरीवाल आज लगातार आठवें दिन उप-राज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में धरना दे रहे हैं. उनके साथ कैबिनेट सहयोगी भी मौजूद हैं. केजरीवाल के अलावा उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भूख हड़ताल कर रहे हैं. जैन की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
केजरीवाल के धरना पर सख्त HC
केजरीवाल के धरना पर आज दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. अदालत ने कहा , “धरना देने (केजरीवाल द्वारा) का अधिकार किसने दिया? आप उपराज्यपाल के कार्यालय के भीतर बैठे हैं. अगर यह हड़ताल है तो ये दफ्तर के बाहर होनी चाहिए थी. ” अदालत ने कहा कि आमतौर पर धरना किसी संस्थापन या कार्यालय के बाहर दिया जाता है न कि अंदर.
केजरीवाल के धरने पर HC की सख्त टिप्पणी, पूछा- LG कार्यालय में धरना देने की अनुमति किसने दी?