दिल्ली में बीजेपी के सासंद पिछले कुछ दिनों से लगातार अलग-अलग स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और वीडियो शेयर कर ये दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल सरकार जिन स्कूलों को वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाने का दावा करती है, उनकी हालात बेहद ख़राब है. इस पर आज जब दिल्ली सरकार से सवाल पूछा गया तो आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा कि यह केजरीवाल मॉडल की सफलता है कि देश में ‘शिक्षा की राजनीति’ होने लगी है.
यूपी, गुजरात में कबाड़खाने में चल रहे स्कूल - आतिशी
आतिशी ने कहा कि, मनोज तिवारी और बीजेपी की एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) को मध्य प्रदेश, गुजरात और यूपी जैसे राज्यों के भी कुछ स्कूल देखकर आना चाहिए कि किस तरह कबाड़खाने में स्कूल चल रहे हैं. आतिशी ने कहा कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को दिल्ली का एक भी ऐसा स्कूल नहीं मिला, जहां बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच या टीचर नहीं थे. केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों का कायापलट किया है, जिसकी वजह से सरकारी स्कूलों के बच्चों का एडमिशन आईआईटी और जेईईई में हो रहा है.
प्रिंसिपलों की नियुक्ति को लेकर दिया जवाब
दिल्ली के स्कूलों की स्थिति को लेकर NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ) द्वारा दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी के मुद्दे पर उठाए गए सवाल पर आतिशी ने कहा कि, केंद्र की यूपीएससी, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल रिक्रूट करती है. हम कई बार कह चुके हैं कि हमारे प्रिंसिपल रिक्रूट करिए, लेकिन यूपीएससी वो फाइल रोककर बैठी हुई है. मनोज तिवारी से आग्रह है कि अगर उनको सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की इतनी ही चिंता है, तो अपनी केंद्र सरकार से वो फाइल निकलवा कर प्रिंसिपल रिक्रूट कराएं. आतिशी ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि भाजपा की केंद्र सरकार, उनके सांसद और नेता, जो हमेशा धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करते आए हैं, आज वे कम से कम शिक्षा की बात तो कर रहे हैं. यही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल मॉडल की सफलता है कि देश की हर पार्टी को आज स्कूलों की बात करनी पड़ रही है.
दिल्ली के स्कूलों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी सवाल उठाए हैं, दरअसल NCPCR के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस मामले में एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में निरीक्षण करने के बाद ये देखा गया है कि उनमें से कई स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं. NCPCR ने लिखा है कि के 1,027 सरकारी स्कूलों में से केवल 203 स्कूलों में ही हेडमास्टर या प्रिंसिपल मौजूद हैं. जिसका स्पष्टीकरण दिल्ली सरकार से मांगा गया है.
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