नई दिल्ली: दिल्ली में एक बार फिर अधिकारों की लड़ाई शुरू हो गई है. लोकसभा में दिल्ली शासन एक्ट में संशोधन बिल पेश किये जाने का दिल्ली सरकार ने विरोध किया है. इस मुद्दे पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि अगर जनता के काम रुकेंगे तो लड़ाई होगी. बीजेपी और केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि कामकाज में सामंजस्य संविधान से बैठेगा या संविधान के खिलाफ जाकर बैठेगा?


सवाल- दिल्ली में एक बार फिर अधिकारों की लड़ाई शुरू हो गई है?


जवाब- जिस तरह से अरविंद केजरीवाल लगातार काम कर रहे हैं, उनकी लोकप्रियता और उनके काम करने के तरीके का संदेश पूरे देश में जा रहा है. उसका नतीजा यह हो रहा है कि गुजरात जैसे चुनाव में अरविंद केजरीवाल और उनके काम को वोट मिल रहे हैं. हिमाचल में नगर निगम के चुनाव होते हैं तो वहां उन्हें वोट मिलते हैं. हर जगह जहां अरविंद केजरीवाल जा रहे हैं, लोगों को लग रहा है कि यह आदमी ही काम कर रहा है. इसलिए अब यह लोग सोच रहे हैं कि इसके काम को किसी भी तरह से रोका जाए. 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि संविधान के हिसाब से दिल्ली की चुनी हुई सरकार को फैसले लेने के अधिकार है और उपराज्यपाल बाधा डालने की कोई भूमिका उसमें नहीं निभाएंगे. अब ये लोग संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर कानून लेकर आ रहे हैं.


सवाल- संशोधन बिल में उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं बल्कि राय का ज़िक्र किया गया है ऐसे में सरकार की आपत्ति किस बात पर है?


जवाब- यह तकनीकी भाषा है कानून की. अगर आज एक मोहल्ला क्लीनिक खुलता है तो स्वास्थ्य मंत्री साइन करते हैं, मोहल्ला क्लीनिक खुल जाता है. इस कानून के बाद फाइल एलजी के पास जाएगी और वहीं रुकी रहेगी. 2018 से पहले जब हर फाइल एलजी के पास जाती थी तब यह लोग मानते नहीं थे. उस वक्त हम डोर स्टेप डिलीवरी नाम की एक स्कीम लेकर आए, एलजी साहब के यहां से लिख कर आया कि यह अच्छा तरीका नहीं है. इससे सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ जाएगा. यह उनका ओपिनियन था, यानी उन्होंने मना कर दिया था. 2018 में संवैधानिक पीठ ने कहा कि सरकार के पास फैसला है तो मुख्यमंत्री ने साइन किए, मंत्री ने साइन किए और योजना शुरू हो गई. काम रोकने की आपकी मंशा है जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि चुनी हुई सरकार को फैसला लेने का अधिकार है तो आप एलजी को फैसला लेने के लिए क्यों कहते हैं? कहीं ना कहीं आपकी मंशा में गड़बड़ है. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि चुनी हुई सरकार फैसला लेगी तो फिर आप एलजी को फैसला लेने को क्यों कहते हैं?


सवाल- दिल्ली के अगले 25 साल की तैयारी वाले कामों के रुक जाने की चिंता है या शक्तियां खो जाने का डर?


जवाब- हमारी चिंता यह है कि सारे काम रुक जाएंगे. ओलंपिक कराने हैं, उसके लिये हमें स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का शानदार काम करना है. उसमें सभी काम कैसे होंगे यह सब काम खेल मंत्री का है, अब एलजी साहब तय करेंगे. अगर एलजी साहब को ही तय करना था तो फिर यह जनता के पास क्यों गए थे, जनता को क्यों कहा गया कि अपना खेल मंत्री और मुख्यमंत्री चुन लो. बीजेपी ने साबित किया है कि अरविंद केजरीवाल की जो काम करने की राजनीति है, उसको रोका जाए. काम करने वाले को लोग वोट दे रहे हैं तो घबरा रहे हैं उससे.


सवाल- बीजेपी का आरोप है कि आप केंद्र सरकार की योजनाएं लागू नहीं होने देते, नगर निगम के साथ सामंजस्य से काम नहीं करते, इसलिये बिल लाया गया है?


जवाब- सामंजस्य संविधान से बैठेगा या संविधान के खिलाफ जाकर बैठेगा? संविधान के खिलाफ जाकर तो सामंजस्य नहीं बैठ सकता. संविधान की पीठ ने कहा है कि चुनी हुई सरकार फैसला लेगी. दिल्ली में कौन सी स्वास्थ्य योजना लागू होगी यह दिल्ली का स्वास्थ्य मंत्री तय करेगा या एलजी तय करेंगे. दिल्ली की जनता ने जिसको चुना है फैसले लेने का अधिकार उसको होना चाहिए या जिस पार्टी को हराया है दिल्ली की जनता ने उसे.


सवाल- राज्यसभा में समर्थन के लिये क्या अन्य पार्टियों से बात कर रहे हैं?


जवाब- अन्य पार्टियों से भी बात कर रहे हैं और हम तो बीजेपी वालों को भी कह रहे हैं कि आप संविधान के खिलाफ क्यों जा रहे हैं? बीजेपी हर बार अपने चुनावी एजेंडा में अपने घोषणा पत्र में लिख कर देती है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाएंगे और फिर पूर्ण राज्य बनाना तो छोड़ो जितनी ताकत है वह भी कम कर दे रही है. भारतीय जनता पार्टी की आदत है मुंह में राम बगल में छुरी. मेनिफेस्टो में लिखते हैं दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाएंगे और जैसे ही सरकार केंद्र में बनती है, कहते हैं दिल्ली में चुनी हुई सरकार की शक्तियां खत्म कर देंगे.


सवाल- आम आदमी पार्टी सड़क पर विरोध में उतर रही है?


जवाब- जनता के काम रुकेंगे तो लड़ाई होगी. अगर यह जनता के काम रोकेंगे, मोहल्ला क्लीनिक बनाने से रोकेंगे, स्कूल-यूनिवर्सिटी बनाने से रोकेंगे तो लड़ाई करनी पड़ेगी. हमने ओलंपिक कराने के बात की है, उसके लिये आज से स्पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, अगर यह उसे रोकेंगे तो लड़ाई तो होगी.


आगरा: पीएम मोदी के आग्रह के बाद भी नहीं हुआ राधेश्याम का इलाज, पैर के दर्द से हैं परेशान