नई दिल्ली: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद के सवाल पर चुनाव आयोग के जरिए अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को नकारते हुए ये आदेश दिया कि चुनाव आयोग इन विधायकों के केस को दोबारा सुने.


दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद ही आम आदमी पार्टी के खेमे में जश्न का समा है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसेले के फौरन बाद आम आदमी पार्टी की अयोग्य ठहराई गईं विधायक अलका लांबा ने कहा कि वो फिर से विधायक हैं और वो विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा ले सकेंगी.


चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा का कहना था कि ये आम आदमी पार्टी की जीत है.


आपको बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की पीठ ने 28 फरवरी को इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में अदालत ने विधायकों, चुनाव आयोग और अन्य पक्षों की दलीलें सुनी थीं.


सुनवाई के दौरान विधायकों ने अदालत में दलील दी थी कि उन्हें अयोग्य ठहराए जाने का चुनाव आयोग का आदेश नैसर्गिक न्याय (नैचुरल जस्टिस) का पूरा उल्लंघन है क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका नहीं दिया गया.


क्या है था पूरा विवाद
पूरा मामला मार्च 2015 का है जब अरविंद केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया. विपक्ष ने विधायक रहते हुए इन्हें लाभ का पद देने का आरोप लगाया. प्रशांत पटेल नाम के सामाजिक कार्यकर्ता ने इसकी शिकायत की. अपनी पिटीशन में उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायक संसदीय सचिव बनाए गए हैं जो कि लाभ के पद हैं. इसलिए इनकी सदस्यता रद्द की जाए.


प्रशांत पटेल की ये शिकायत राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के पास भेजी. चुनाव आयोग ने इस मामले की सुनवाई शुरू की.


इस बीच आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने विधायकों को बचाने के लिए इन पदों को लाभ के पद से बाहर रखने के लिए कानून भी बनाने की कोशिश की. लेकिन राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी नहीं दी. दिल्ली हाई कोर्ट में केन्द्र औऱ दिल्ली सरकार की तकरार पर चल रही सुनवाई में केन्द्र ने साफ किया था कि दिल्ली में इतने संसदीय सचिव नही रखे जा सकते. इसका कोई प्रावधान नहीं है. जिसके बाद 8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी थी. आम आदमी पार्टी इसी आर्डर आधार पर चुनाव आयोग से केस खत्म करने की अपील कर रही थी जिसे आयोग ने खारिज कर दिया.


किन-किन 20 विधायकों का नाम था शामिल




  • जरनैल सिंह

  • नरेश याद व

  • अल्का लांबा

  • प्रवीण कुमार

  • राजेश ऋषि

  • राजेश गुप्ता

  • मदन लाल

  • विजेंद्र गर्ग

  • अवतार सिंह

  • शरद चौहान

  • सरिता सिंह

  • संजीव झा

  • शिवचरण गोयल

  • अनिल कुमार

  • मनोज कुमार

  • नितिन त्यागी

  • सुखबीर दलाल

  • कैलाश गहलोत

  • आदर्श शास्त्री

  • सोम दत्त