नयी याचिकाएं उन्हें अयोग्य ठहराने के बारे में चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति के मंजूर कर लेने पर उनकी पिछली याचिकाओं के निरर्थक हो जाने के एक दिन बाद दायर की गईं. इन याचिकाओं में कहा गया है कि राष्ट्रपति और चुनाव आयोग ने अनुचित जल्दबाजी दिखाई. इन विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को लाभ का पद ठहराया गया था.
उन्होंने दावा किया कि उनकी अयोग्यता के संबंध में समूचा प्रकरण प्रक्रिया को साफ दर्शाता है जिसके तहत उन्हें उनका पक्ष सुने जाने के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से वंचित किया गया. उनकी याचिकाओं का जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस ए के चावला की बेंच आज सुनवाई करेगी.
इन विधायकों ने यह कदम तब उठाया है जब 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने पर अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति के मंजूर कर लेने के बाद उन्होंने सोमवार को अपनी याचिकाएं वापस ले ली थीं.
19 जनवरी को चुनाव आयोग ने 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने को लेकर अयोग्य ठहराने के लिये राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजी थी. बाद में राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी थी.