नई दिल्ली: मुंबई के आरे पेड़ कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल (सोमवार) सुबह दस बजे सुनवाई होगी, इसके लिए स्पेशल बेंच बनाई जाएगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को चिट्ठी लिखकर इस मामले में संज्ञान लेने को कहा गया था. इसके बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में सुनवाई की बात कही है.


पेड़ों को गिराये जाने के खिलाफ रिषव रंजन नामक शख्स के प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र के आधार पर रविवार को विशेष पीठ का गठन किया. सुप्रीम कोर्ट ने चिट्ठी को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का फैसला किया.


सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर तत्काल सुनवाई करने के बाबत नोटिस डाला गया है जिसके अनुसार, ''संज्ञान लिया जाए कि मामले में कल सात अक्टूबर, 2019 को सुबह 10 बजे सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन किया गया है. महाराष्ट्र राज्य के आरे वन्य क्षेत्र में पेड़ गिराये जाने के संबंध में रिषव रंजन के छह अक्टूबर, 2019 के पत्र के आधार पर यह निर्णय लिया गया है और इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया गया है.''


बता दें मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए बीएमसी ने आरे कॉलोनी के 2000 पेड़ काटने का आदेश दिया था. इसी के बाद से तमाम पार्यावरणविद, कई बॉलीवुड सितारे और तमाम आम नागरिक इसके खिलाफ आ गए. आरे कॉलोनी में आज भी एक तरफ पेड़ों की कटाई हो रही और दूसरी तरफ पेड़ कटाई के विरोध में भारी प्रदर्शन. जानकारी के मुताबिक अब तक 1800 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं.


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गिरफ्तार लोगों को सात हजार के मुचलके पर छोड़ा गया
इस मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए 29 लोगों को आज डिंडोशी सेशन कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया. कोर्ट ने ₹7000 प्रति व्यक्ति मुचलके पर इन लोगों को बेल दी है. गिरफ्तार हुए लोगों की तरफ से जिरह करने वाले वकील माधव सूर्यवंशी ने कोर्ट को बताया की लोगों विद्यार्थी हैं आम लोग हैं मजदूर हैं आदिवासी हैं इसके आधार पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार देर रात से पेड़ों को काटने का काम शुरू हो गया जिसके बाद शनिवार को आरे इलाके में जन आंदोलन छेड़ा गया. इलाके में धारा 144 लगाकर प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास किया और सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया था.


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केंद्र सरकार का इस पूरे मामले पर क्या कहना है?
पूरे विवाद के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पेट काटने के फैसले का समर्थन किया है. जावड़ेकर ने कहा कि हाई कोर्ट ने माना है कि 'आरे' जंगल नहीं है और जहां जंगल है, आप वहां पेड़ नहीं काट सकते हैं. पेड़ कटाई पर शिवसेना के विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, अगर कहीं पेड़ काटे जाते हैं तो उससे अधिक लगाये भी जाते हैं.


जावड़ेकर ने दिल्ली मेट्रो का उदाहरण देते हुए कहा, ''दिल्ली में मेट्रो आज दुनिया में सबसे अच्छी मेट्रो है. बाहर के देशों के लोग यहां आकर मेट्रो को देखते हैं कि इसका विकास कैसे हुआ. जब पहला मेट्रो स्टेशन बना तो 20-25 पेड़ गिराने की जरूरत थी, तो लोगों ने इसका विरोध किया लेकिन एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाये गये और पिछले 15 साल में पेड़ बड़े हो गये हैं. वहां 271 स्टेशन बने, दिल्ली का जंगल भी बढ़ा, पेड़ भी बढ़े और दिल्ली में तीस लाख लोगों के लिये सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था हुई. मतलब यही है कि विकास भी और पर्यावरण की रक्षा भी, दोनों साथ में हुये.''


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क्या है आरे जंगल कटाई का पूरा मामला?
मुंबई मेट्रो का कार शेड बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने आरे कॉलोनी के जंगल के 2702 पेड़ काटने के आदेश दे दिए हैं. भारी विरोध के बाद भी पेड़ काटने का ऑपरेशन शुरू हो गया है. कल बॉम्बे हाईकोर्ट ने पेड़ काटने के खिलाफ दायर याचिकाएं इस आधार पर खारिज कर दी कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में लंबित है.


इसके बाद पेड काटने के लिए MMRCL के लोग पहुंचे गए तो आरे बचाओ मुहिम के कार्यकर्ता उनसे भिड़ गए, जमकर हाथापाई हुई. झड़प इतनी बढ़ गई कि पुलिस ने विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. इसके बाद भी लगाया जा रहा है कि करीब 400 पेड़ रातो रात काट दिए गए. मुंबई में पेड़ काटने को लेकर अरसे से विरोध चल रहा है.