मर्डर मिस्ट्री की हिस्ट्री में दर्ज हो चुकी आरुषि- हेमराज की हत्या आज भी पहेली बना हुआ है. आखिर 15-16 मई, 2008 की रात किसने आरुषि और हेमराज की हत्या की. इस मामले में सबसे पहले कातिल ने आरुषि की हत्या की. इसके बाद नौकर हेमराज का कत्ल हुआ. इस मामले में आरुषि के माता पिता को भी आरोपी बनाया गया था. इन दोनों को गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी करार देते हुए साल 2013 उम्र कैद की सजा सुनाई. लेकिन बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआइ की जांच में कई कमी पाईं और  तीन साल पहले यानि साल 2017 में पिता डॉ. राजेश और मां डॉ. नूपुर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.


16 मई को आरुषि का मिला शव
16 मई 2008 को आरुषि की लाश उसके बेडरूम में मिली थी. इस बात की जानकारी घर पर काम करने वाली एक मेट ने उस समय दी जब वह रोज की तरह काम करने के लिए बेडरूम में पहुंची. लेकिन आरुषि की लाश देखकर उसकी चीख निकल गई और वह चिल्लाते हुए राजेश और नूपुर के पास गई और मामले की जानकारी दी. इसके बाद यह खबर जंगल में आग की तरह पूरे देश में फैल गई.


हेमराज पर हत्या का शक
आरुषि की हत्या का शक सबसे पहले घर में काम करने वाले हेमराज पर गई. मीडिया में इसकी जानकारी सामने आने लगी. बताया जाने लगा कि हेमराज घर में आरुषि की हत्या करके नेपाल फरार हो गया है. राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने नोएडा पुलिस को यही बताय कि हेमराज उनकी बेटी आरुषि तलवार की हत्या करके फरार हो गया है. मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस पर दवाब बड़ गया. नोएडा पुलिस की एक टीम हेमराज को गिरफ्तार करने के लिए फौरन ही नेपाल के लिए रवाना हो गई. लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने पूरे मामले का रूख ही बदल दिया. पुलिस जिस हेमराज की तलाश में नेपाल गई थीं. उसी हेमराज का शव ठीक 24 घंटे में एल-32 जलवायु विहार नोएडा यानी राजेश-नूपुर के घर की छत पर हेमराज का शव पड़ा हुआ मिला.


माता पिता पर शक
हेमराज का शव मिलने के बाद पुलिस की जांच में पाया गया कि हत्या सर्जिकल ब्लेड से हुई है. इसके बाद पुलिस का शक आरुषि के माता-पिता पर आ गया. 23 मई 2008 को नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर में गिरफ्तार कर लिया गया. तत्कालीन यूपी सरकार ने इस पूरे मामले की जांच 1 जून 2008 को सीबीआइ को सौंप दी. सीबीआई ने भी जांच के बाद आरुषि और हेमराज के कत्ल में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन बाद में उन्हें संदेह के आधार पर छोड़ दिया गया. 29 दिसंबर 2010 को सीबीआइ ने मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को दोषसिद्ध पाया. लेकिन आरुषि के माता पिता को कोई राहत नहीं दी गई. 26 नवंबर 2013 को सीबीआइ कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई.


माता पिता ने ली हाई कोर्ट की शरण
लेकिन माता पिता ने खुद को बेगुनाह बताते हए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली. हाई कोर्ट ने इस मामले में 12 अक्टूबर 2017 को तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. लेकिन इस हत्याकांड को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है.


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