इतिहासकार रहमान नागपुर में स्वतंत्रता सेनानी और भारत रत्न अब्दुल गफ्फार खान की 133वीं जयंती पर संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर इतिहासकार ओबैदुर रहमान ने कहा, 'अब्दुल गफ्फार खान ही नहीं बल्कि शेर अली खान और अफरीदी जैसे कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अंडमान निकोबार में एक ब्रिटिश वायसराय की हत्या की उनको बार-बार याद करना चाहिए. जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी उन्हें याद किया जाना चाहिए. लेकिन देश में दुर्भाग्य से अब उनका जश्न नहीं मनाया जाता है और ना ही उन्हें मान्यता दी जाती है.'
अब्दुल गफ्फार खान ने 40 साल जेल में बिताए
आजादी की लड़ाई के दौरान सीमांत गांधी की उपाधि हासिल करने वाले अब्दुल गफ्फार खान ने भारत की आजादी के बाद 40 साल जेल में बिताए थे. भारत में एक हिंदू कट्टरपंथी ने महात्मा गांधी को मार डाला था. जबकि पाकिस्तान के मुसलमानों ने अब्दुल गफ्फार खान को 40 साल तक जेल बंद कैद रखा. अब्दुल गफ्फार खान और महात्मा गांधी को अपनी-अपनी सरकारों से और लोगों से न्याय नहीं मिला.
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर बाटी जा रही हैं नफरत
अब्दुल गफ्फार खान की 133वीं जयंती पर हुए कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सुनील केदार, एडवोकेट फिरदौस मिर्जा और परवेज सिद्दीकी भी मौजूद रहे. एडवोकेट फिरदौस मिर्जा ने अपने संबोधन में कहा, 'भारत आज भी गांधी का देश कहलाता है. विशेष रूप से व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रहा है. एक दूसरे के साथ जुड़ने और सच्चाई जानने की जरूरत नहीं है. गलत तरीके से देश में नफरत फैलाई जा रही है. हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के लिए मराठा योद्धा राजा शिवाजी के नाम का गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है. जब शिवाजी ने आगरा छोड़ा तो उनके साथ मुसलमान भी थे. जब वह अफजल खान से मिलने गए तो उनके साथ गए मंत्रालय में मुसलमान थे. लेकिन हमें बताया जाता है कि शिवाजी और औरंगजेब की लड़ाई हिंदू-मुस्लिम होने के कारण थी.'
'इतिहास को बदलने की हो रही है कोशिश'
एडवोकेट फिरदौस मिर्जा ने कहा, 'इसी तरह हजरत टीपू सुल्तान का नाम भी बदनाम किया गया है. जबकि कि सावरकर की बुक में सिक्स एप्रोच ऑफ हिंदुइज्म में बताया गया है कि टीपू सुल्तान ने मंदिरों के लिए एक एकड़ जमीन दान में दी थी. अंडमान में कई मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों की कब्रे हैं.' उन्होंने कहा, 'जलियांवाला बाग में विरोध डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के खिलाफ आयोजित किया गया था. इतिहास बदलने की कोशिश की जा रही है. देश की एकता पर हमला है. इसका हमें विरोध करना चाहिए और इस के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.'