(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मध्य प्रदेश: लंबे समय तक गैस त्रासदी पीड़ितों की आवाज उठाने वाले अब्दुल जब्बार को भी मिलेगा पद्मश्री
अब्दुल जब्बार ने भोपाल गैस कांड के बाद से 35 साल तक उस त्रासदी के पीड़ितों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. जब्बार की कोशिशों के बाद ही केंद्र सरकार ने भोपाल मेमोरियल एंड रिसर्च सेंटर खोला था.
भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लंबे समय तक गैस पीडितों की आवाज बन कर संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार को सरकार ने मरणोपरांत पद्मश्री से अवार्ड से नवाजा है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म पुरस्कारों का एलान किया जिसमें जब्बार का नाम भी शामिल किया गया है.
अब्दुल जब्बार ने पैंतीस साल तक गैस पीड़ितों की आवाज को भोपाल से निकाल कर सुप्रीम कोर्ट और संसद तक पहुंचाई. जिसके लिए सरकार ने उनके मरने के बाद उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है. जब्बार के समर्थक इस सम्मान से खुशी के साथ ये सम्मान मिलने में लगी देरी पर थोड़ी नाराजगी भी जताई है. भोपाल के राजेद्र नगर में दो कमरे के मकान में रहने वाले जब्बार का लंबी बीमारी के बाद पिछले साल नंवबर में निधन हो गया था.
इस सम्मान के बाद जब्बार की पत्नी सायरा बानो का कहना है, "हम इस सम्मान के लिए सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं लेकिन ये सम्मान उनके जीते जी मिलता तो और अच्छा होता. वो गैस पीडितों के नेता रहे हैं. उन्होंने कभी अपनी और परिवार की नहीं सोची. अब उनके निधन के बाद परिवार चलाने की जिम्मेदारी मुझ पर है. अगर सरकार मेरे रोजगार उपलब्ध करा दे तो मैं अपना परिवार चला सकूंगी."
भोपाल में दो दिसंबर को यूनियन कारबाइड कारखाने से रिसी गैस ने हजारों लोगो की जान ले ली थी. इस गैस कांड में हजारों लोग जहरीली गैस का शिकार हो कर दम तोड़ दिया था तो लाखों लोग आज तक बीमार हैं. जब्बार देवास की फैक्टी में काम करते थे मगर गैस कांड होते ही सब छोड़कर गैस पीडितों की लडाई लड़ने के लिए भोपाल आ गए और लगातार पैंतीस साल तक गैस पीडितों की बेहतरी के लिए कोर्ट से लड़ाई लड़ी.
गैस कांड में जब्बार ने अपने परिवार के लोगों को खोया पर अपने दर्द को भुला कर गैस पीड़ित उन महिलाओं को सहारा दिया, जिनका घर परिवार उजड़ गया था. भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के नाम से उन्होंने जो संगठन बनाया उसके तहत ढाई हजार महिलाओं को रोजी रोटी कमाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसके अलावा कोर्ट में भी लगातार याचिकाएं लगाकर गैस पीड़ितों के इंसाफ की लडाई उन्होंने जारी रखी.
अब्दुल जब्बार की याचिका पर ही केंद्र सरकार ने भोपाल में करोड़ो रुपये खर्च कर भोपाल मेमोरियल एंड रिसर्च सेंटर खोला. लेकिन जब्बार जब बीमार हुए तो वहां पर भी उनका बेहतर इलाज नहीं हो सका. जब्बार के संगठन को अब हमीदा बी संभाल रही हैं. वो भी सरकार द्वारा इलाज ना मिलने के अभाव में हुई मौत से काफी दुखी हैं.
बता दें कि कमलनाथ सरकार ने पिछले दिनों जब्बार को इंदिरा गांधी सम्मान के तहत दस लाख रुपये की मदद की थी. वहीं अब केंद्र सरकार ने पद्मश्री देकर उनके काम को सम्मान दिया है. उनके भाई अब्दुल शमीम ने भी सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर की है.
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