Abdullah Azam Fake Certificate Case: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता आजम खान (Aazam Khan) के बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. उत्तर प्रदेश (UP) के स्वार विधानसभा सीट (Swar Assembly Seat) से अब्दुल्लाह आज़म खान का निर्वाचन रद्द किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सही ठहराया है.


2017 में विधायक बने अब्दुल्लाह के निर्वाचन को 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया था. अब्दुल्लाह पर गलत उम्र बता कर चुनाव लड़ने का आरोप साबित हुआ था. हालांकि, इस फैसले का कोई व्यवहारिक असर नहीं होगा क्योंकि 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में अब्दुल्लाह आज़म खान इसी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं. 


सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रखा बरकरार


अब्दुल्ला आजम साल 2017 में यूपी चुनाव में रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र से जुड़े मामले में अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द करने का आदेश दिया था. अब इस मामले में अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 नवंबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब्दुल्ला आजम की याचिका को खारिज कर दिया है. 


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने अब्दुल्ला आजम के मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की भी दलीलों को दरकिनार करते हुए इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने का आदेश सुनाया. 


ये है पूरा मामला


आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में रामपुर जिले की स्वार सीट से जीत हासिल की थी. अब्दुल्ला ने इस चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी (BSP) उम्मीदवार नवाब काजिम अली खान को हराया था. चुनाव नतीजों के बाद बीएसपी उम्मीदवार नवाब काजिम ने अब्दुल्ला के स्कूल और बर्थ सर्टिफिकेट में दो अलग-अलग जन्मतिथि को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी. 


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के खिलाप दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही पाया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसके बाद इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए अब्दुल्ला के निर्वाचन को रद्द करने का आदेश सुनाया था. अब्दुल्ला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, उन्हें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है.


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