Abhijit Banerjee on Freebies: नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ने कहा है कि चुनाव से पहले लोगों को रियायतें और फ्री गिफ्ट देना गरीबों की मदद का सर्वश्रेष्ठ यानी बेस्ट तरीका नहीं है और इसे अनुशासित करने की जरूरत है.


अभिजीत बनर्जी ने शनिवार(5 नवंबर) को 'अच्छा अर्थशास्त्र, खराब अर्थशास्त्र’ विषय पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में विकासपरक अर्थशास्त्र, अर्थव्यवस्था के व्यावहारिक मॉडल, जीवनयापन का संकट, सामाजिक सुरक्षा और कीमतों एवं राहत उपायों के प्रतिकूल प्रभाव जैसे कई मुद्दों पर बात की. इस कॉन्फ्रेंस का संचालन अर्थशास्त्री और लेखक श्रायन भट्टाचार्य ने किया. अभिजीत बनर्जी ने चुनावों के समय दिए जाने वाले सरकारी तोहफों और रियायतों पर चिंता जताते हुए कहा कि इसे अनुशासित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘‘इससे बाहर निकलना अब कठिन है. पारंपरिक और असमानतापूर्ण तरीका कर्ज को बट्टे खाते में डालना था क्योंकि सबसे बड़े कर्जदार सबसे गरीब नहीं होते. यही आसान तरीका था.’’


सुझाया यह तरीका 
अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘अमीरों पर टैक्स लगाना अच्छा तरीका है. गरीबों की मदद के लिए चुनाव से पहले रियायतें देना सबसे अच्छे तरीके नहीं हैं. हमारे यहां बढ़ती हुई असमानता है और अमीरों पर कर लगाने की बात है. यह पैसा केंद्र सरकार के पास जा सकता है जहां से इसका आगे वितरण हो सके.’’


बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है?
भारत में रोजगार संकट से संबंधित एक सवाल पर अभिजीत बनर्जी ने कहा कि सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना है. उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी का सपना एक गंभीर समस्या है और इस वजह से प्रतिभाएं बेकार चली जाती हैं क्योंकि 98 फीसदी लोग अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते जिससे बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जाती है.


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