नई दिल्ली: लड़ाकू विमान एफ16 को मार गिराने के बाद अभिनंदन का फाइटर प्लेन मिग भी क्रैश हो गया था. इसके बाद अभिनंदन का पैराशूट पीओके में पहुंच गए थे जहां पाकिस्तानी सेना ने उन्हें कब्जे में ले लिया था. विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का पूरा परिवार ही मिग 21 लड़ाकू विमान से काफी पुराना रिश्ता रहा है. वर्तमान के एक पारिवारिक मित्र ने शुक्रवार को बताया कि उनके पिता एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) सिंहकुट्टी वर्तमान भी मिग-21 उड़ा चुके हैं और वह भारतीय वायुसेना के ‘टेस्ट पायलट’ रहे हैं. वह पांच साल पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि अभिनंदन के दादा भी भारतीय वायुसेना में थे.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में 1969-72 के दौरान अभिनंदन के पिता के साथ पढ़ने वाले विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) प्रकाश नावले ने बताया कि वह अभिनंदन से सबसे पहले तब मिले थे जब वह (अभिनंदन) तीन साल के बच्चे थे. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं और उनके पिता हैदराबाद के हकीमपेट में लड़ाकू प्रशिक्षण के लिए तैनात थे.’’
नावले 1994 में भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त हुए और फिलहाल नवी मुंबई में रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भी ‘वायु सेना अकादमी’ से लड़ाकू विमान के पायलट के तौर पर प्रशिक्षण लिया था, शुरू में मैंने लड़ाकू विमान पायलट के तौर पर काम किया लेकिन बाद में मैंने हेलीकॉप्टर को चुना. मैं और एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) वर्तमान कुछ समय तक उड़ान प्रशिक्षक भी रहे.’’
नावले की तरह एयर मार्शल वर्तमान भी सैनिक स्कूल से पढ़े हैं. नावले ने सतारा सैनिक स्कूल और एयर मार्शल वर्तमान ने तमिलनाडु के अमरनाथीनगर स्थित सैनिक स्कूल से पढ़ाई की है.
नावले ने कहा कि एयर मार्शल वर्तमान उस वक्त तामबन में ही थे जब वह यहां उड़ान प्रशिक्षक पाठ्यक्रम कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान परिवार बहुत ही भला और सीधा सादा है और उनके घर पर हमने कई बार लजीज भोजन का आनंद लिया है.’’नावले ने कहा, ‘‘एयर मार्शल वर्तमान अच्छे इंसान हैं. पेशे से डॉक्टर उनकी पत्नी शोभा भी एक बेहतरीन महिला हैं. जब मेरी पत्नी अरुणा गर्भवती थी तो वह अक्सर हमारे घर आतीं और उन्हें सही चिकित्सकीय सलाह देतीं. शोभा की चिकित्सकीय देखभाल के कारण ही आज हम एक बेटी के माता-पिता हैं, जिसका नाम हमने पूजा रखा है.’’
अभिनंदन की बहन अदिति फ्रांस में रहती हैं और उनके पति एक फ्रांसीसी नागरिक हैं. वर्ष 1982 में जब नावले फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे तब उन्हें ‘शौर्य चक्र’ से सम्मानित किया गया. उन्होंने गोपालपुर में नाराज भीड़ के रोष से ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जे बी पटनायक का जीवन बचाया था.
उन्हें दिये गये पुरस्कार के प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘इस कार्य के लिये फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रकाश नावले ने अपनी निष्ठा, साहस का परिचय देते हुए बुद्धि का इस्तेमाल किया. ऐसे कठिन समय में अगर वह मुख्यमंत्री को लेकर विमान से उड़ान नहीं भरते तो हालात गंभीर हो सकते थे और मुख्यमंत्री के साथ कुछ भी हो सकता था और फिर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी.’’