Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही दिल्ली का राजनीतिक माहौल गरमा रहा है. कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार (26 जनवरी) को बीजेपी पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बीजेपी दिल्ली चुनाव में "नफरत और सांप्रदायिकता" फैलाने की कोशिश कर रही है. 


सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "दिल्ली में चुनाव के समय बीजेपी "नफरत भरी फिल्में" प्रसारित कर रही है. यह विडंबना है कि एक ओर हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनावों के दौरान सांप्रदायिकता का बोलबाला है. यह दुखद है कि बीजेपी चुनाव के दौरान समाज को बांटने का प्रयास कर रही है. यह नफरती प्रचार समाज के ताने-बाने को कमजोर कर रहा है."


गणतंत्र और राजनीति में 'Republic' का महत्व
गणतंत्र दिवस के अवसर पर संविधान के महत्व पर चर्चा करते हुए सिंघवी ने कहा कि "जब रूल्स कमेटी में संविधान का मसौदा तैयार हुआ था, तब ‘Republic’ शब्द शामिल नहीं था. यह पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों का नतीजा था कि यह शब्द जोड़ा गया."


उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस पर देश को एकजुट रहने की आवश्यकता है, लेकिन बीजेपी "साम्प्रदायिकता का जहर" फैला रही है. सिंघवी ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान एक "नफरती फिल्म" दिखाकर समाज को बांटने की कोशिश कर रही है.






चुनाव आयोग में कांग्रेस की शिकायतें
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग में बीजेपी की गतिविधियों को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा, "हमने चुनाव आयोग को बताया है कि बीजेपी लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने और पक्षपाती बनाने का प्रयास कर रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग हो रहा है."


सिंघवी ने यह भी कहा कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक अन्य शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें राजनीतिक विज्ञापनों के जरिए कांग्रेस नेताओं की छवि खराब करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा, "ऐसे अपमानजनक प्रचार की निंदा होनी चाहिए. चुनाव आयोग को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि चुनावी प्रक्रिया के दौरान समय बहुत कम होता है."


राजनीतिक विमर्श की गुणवत्ता पर चिंता
सिंघवी ने आम आदमी पार्टी (AAP) का नाम लिए बिना कहा कि कुछ राजनीतिक दल हार के डर से दूसरों को भ्रष्ट और खुद को बेदाग साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि "ऐसे राजनीतिक विमर्श को बढ़ावा देने से लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है."



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