Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 मार्च) को नफरती भाषण के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सांप्रादायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए अभद्र भाषा का त्याग करना मूलभूत आवश्यकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये पूछा कि केवल एफआईआर दर्ज करने से अभद्र भाषा की समस्या का समाधान नहीं होगा, इसके लिए क्या कार्रवाई की गई है?
हेट स्पीच के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने ये टिप्पणी की है. शीर्ष कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ये भी पूछा कि एफआईआर दर्ज करान के लिए क्या कार्रवाई की गई क्यों कि केवल शिकायत दर्ज करने से अभद्र भाषा की समस्या का समाधान नहीं हो सकता.
6 फरवरी की सुनवाई में कोर्ट की टिप्पणी
इससे पहले फरवरी महीने में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हेट स्पीच को लेकर आम सहमति बढ़ रही है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर हेट क्राइम की कोई गुंजाइश नहीं है.
अदालत ने कहा, "हेट स्पीच को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है." यदि राज्य अभद्र भाषा की समस्या को स्वीकार करता है तभी उसका एक समाधान निकाला जा सकता है. साथ ही उसने यह भी कहा कि अपने नागरिकों को ऐसे किसी भी घृणित अपराध से बचाना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "जब हेट क्राइम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो ऐसा माहौल बनाया जाता है जो बहुत खतरनाक है और इसे हमारे जीवन में जड़ से खत्म करना होगा. हेट स्पीच पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है."
वहीं, 20 फरवरी की सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक सभाओं में दिए गए नफरती भाषणों के एक मामले में चार्जशीट फाइल करने को कहा था. इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच एडवांस स्टेज में है.
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