पंजाब: 6 दिनों में विभिन्न स्कूलों से कोरोना के करीब 200 मामले आए सामने, पेरेंट्स ने जताई चिंता
पंजाब में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. राज्य के स्कूलों में टीचर्स और स्टूडेंट्स भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 6 दिनों में शिक्षण क्षेत्र से करीब 200 मामले सामने आए हैं, जो चिंता का विषय बना हुआ है.
पंजाब में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसका सीधा असर वहां के स्कूलों पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले 6 दिनों में टीचर्स और स्टूडेंट्स को शामिल कर करीब 200 नए मामले सामने आए हैं. वहीं, 7 जनवरी से अबतक राज्य के विभिन्न स्कूलों से जुड़े 923 मामले सामने आए हैं. इससे पहले 22 से 27 फरवरी तक सामने आए 195 मामलों में से 152 छात्र और 48 टीचर्स शामिल हैं.
राज्य में अब कुल संक्रमित छात्रों की संख्या बढ़कर 604 हो गई है. जबकि 7 जनवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच 319 शिक्षक भी संक्रमित पाए गए हैं. हालांकि, अधिकतर मामले तब सामने आए हैं जब राज्य में कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है. पेरेंट्स के मुताबिक, मार्च के पहले हफ्ते से गैर-बोर्ड कक्षाओं की अंतिम परीक्षाएं शुरू हो रही हैं और अधिकांश स्कूल इन परीक्षाओं को ऑफलाइन मोड में ले रहे हैं. ऐसे कोरोना के बढ़ते मामले से वे काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.
कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने की अहम बैठक
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और जम्मू और कश्मीर के राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. इन राज्यों में पिछले एक सप्ताह में नए कोरोना संक्रमण के मामलों बढ़ोतरी दर्ज की जा रही हैं. बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, महानिदेशक आईसीएमआर, नीति आयोग, एम्पोवेरेड ग्रुप के सदस्यों के साथ राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे.
ट्रांसमिशन तोड़ने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने पंजाब सहित अन्य राज्यों को सलाह दी है कि कोरोना ट्रांसमिशन तोड़ने के लिए तेजी से काम करें. खासकर तब जब कोरोना के दो नए वैरिएंट मिले हैं. वहीं इन राज्यों को सलाह दी गई है कि वह केस बढ़ने से रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कराएं. वहीं किसी लक्षण वाले मरीज का एंटीजन टेस्ट नेगेटिव भी आता है तो उसका RTPCR टेस्ट कराया जाए. इतना ही नहीं टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पॉलिसी को सख्ती के साथ लागू किया जाए.
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