ABP C Voter Survey: भ्रष्टाचार के आरोपों पर कर्नाटक में मिली हार! क्या PM मोदी बनाए रख पाएंगे 'करप्शन फ्री इमेज', जानें देश का मूड
ABP C Voter Survey: कर्नाटक चुनाव के बाद एक नया सर्वे सामने आया है. इस सर्वे में लोगों से पीएम मोदी पर विपक्ष की ओर से लगाए जाने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा एक सवाल पूछा गया था.
ABP C Voter Survey: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ 40 फीसदी कमीशन सरकार वाले भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. कहा जा रहा है कि इसी के चलते कर्नाटक में कांग्रेस को शानदार जीत हासिल हुई. हालांकि, कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देना अभी भी मुश्किल है. ऐसा दावा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक सर्वे में ये बात सामने आई है.
केंद्र में मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर एबीपी न्यूज और सीवोटर ने एक सर्वे किया. इस सर्वे में लोगों से पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी और एनडीए से जुड़े सवाल किए गए थे. ये सर्वे ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में बीजेपी को भ्रष्टाचार के आरोपों पर कर्नाटक में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है. आइए जानते हैं कि इस नए सर्वे में देश का मूड क्या कहता है?
क्या पीएम मोदी अपनी भ्रष्टाचार मुक्त छवि बनाए रख पाएंगे?
सर्वे में शामिल लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि विपक्ष के आरोपों के बावजूद पीएम मोदी भ्रष्टाचार मुक्त छवि बनाए रखने में कामयाब हुए हैं? इस सवाल के जवाब में 54 फीसदी लोगों ने हां में अपनी सहमति जताई. वहीं, 37 फीसदी लोगों का मानना है कि पीएम मोदी को भ्रष्टाचार के आरोपों से नुकसान होगा. इसके साथ ही 9 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कुछ कह नहीं सकते के विकल्प को चुना.
सहयोगी दल क्यों छोड़ रहे हैं NDA?
बीते कुछ समय में बीजेपी नीत एनडीए के कई सहयोगी दलों ने अलग राह पकड़ ली है. जिसको देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. इसी से जुड़ा एक सवाल एबीपी न्यूज और सीवोटर के सर्वे में लोगों से पूछा गया था. सवाल किया गया था कि आपके अनुसार सहयोगी दलों ने एनडीए का साथ क्यों छोड़ा?
इस सवाल का जवाब देने वाले 37 फीसदी लोगों को लगता है कि सहयोगी दलों के एनडीए छोड़ने की वजह बीजेपी नेताओं का अहंकार है. वहीं, 33 फीसदी लोगों का मानना है कि एनडीए में रहते हुए सहयोगी दलों को अपने वजूद पर खतरा महसूस हो रहा था. जिसके चलते उन्होंने गठबंधन से किनारा कर लिया. सर्वे में शामिल 17 फीसदी लोगों ने अन्य वजहों को कारण बताया और 13 फीसदी लोगों ने कह नहीं सकते के विकल्प को चुना.
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