No Confidence Motion: संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में मणिपुर को लेकर गतिरोध जारी है. हंगामें के कारण शुक्रवार (28 जुलाई) को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार (31 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी.
विपक्ष मणिपुर हिंसा पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद के भीतर बयान देने की मांग कर रहा है तो वहीं सरकार कह रही है कि विपक्ष चर्चा से भाग रही है. वहीं विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मणिपुर पर पीएम मोदी के संसद में बयान देने के लिए दवाब बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इसी बीच एबीपी न्यूज के लिए सी वोटर ने सर्वे किया है.
सर्वे में सवाल किया गया कि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने से विपक्ष को फायदा या नुकसान? इस पर 41 फीसदी लोगों ने कहा कि विपक्ष को फायदा होगा. वहीं 36 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसका कोई असर नहीं होगा. इसके अलावा 11 परसेंट लोगों ने कहा कि विपक्ष को इससे नुकसान होगा. सर्वे के मुताबिक, 12 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कुछ नहीं कह सकते.
अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार क्या बोली?
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर कहा था कि ये हमारी सरकार को गिराने के लिए लाया जा रहा है, लेकिन सदन में हमारे पास बहुमत है. उन्होंने आगे कहा कि हमने सभी दलों को ऑल पार्टी मीटिंग के समय ही मणिपुर पर चर्चा के लिए बोला था.
अविश्वास प्रस्ताव पर कब चर्चा हो सकती है?
एबीपी न्यूज को सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि विपक्ष के सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए तारीख सोमवार (31 जुलाई) को तय की जा सकती है. बता दें कि विपक्षी दल लगातार इस पर चर्चा कहने को कह रहे हैं.
अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी का जीतना क्यों तय है?
अविश्वास प्रस्ताव में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की हार तय है क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लोकसभा की 543 सीट में से पांच अभी खाली हैं. इनमें से 330 से अधिक सांसद बीजेपी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के अन्य घटक दलों के हैं.
कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के उसके साथी पार्टियों के सदस्यों की संख्या 140 से अधिक है. करीब 60 सांसदों का संबंध उन पार्टियों से है जो दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं है.