ABP C-Voter Survey: ध्रुवीकरण, किसान आंदोलन और कानून व्यवस्था, यूपी चुनाव में कौन सा मुद्दा ज्यादा प्रभावी होगा?
ABP C-Voter Survey: सी-वोटर के सर्वे में यह समझने की कोशिश की गई है कि 6 दिसंबर से लेकर 16 दिसंबर के बीच दस दिनों में यूपी चुनाव के मुद्दों पर लोगों की राय कितनी बदली है.
ABP C Voter UP Election Survey: उत्तर प्रदेश में चुनाव (UP Election 2022) की घोषणा भले ही नहीं हुई हो, बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस लगातार एक दूसरे को घेरने में जुटे हैं. यूपी से आने वाले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को लेकर राजनीतिक टकराव और बढ़ गया है. उनके इस्तीफे पर अड़े विपक्ष ने गुरुवार को सड़क से लेकर संसद तक जमकर हंगामा किया. विपक्ष के तेवर और सरकार रुख से ऐसा लगता है कि इस मुद्दे की गूंज यूपी चुनाव में भी सुनाई देनी वाली है.
इसके अलावा और क्या-क्या मुद्दे हो सकते हैं जो यूपी के चुनाव पर असर डाल सकते हैं. इसका जायजा लेने के लिए एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने सर्वे किया है. सर्वे में ये समझने की कोशिश की गई कि 6 दिसंबर से लेकर 16 दिसंबर के बीच इन दस दिनों के भीतर यूपी चुनाव के मुद्दों पर लोगों की राय कितनी बदली है.
आज के ओपिनियन पोल में लोगों से पूछा गया कि यूपी में कौन सा मुद्दा प्रभावी होगा? इस सवाल पर सबसे अधिक 25 फीसदी लोगों ने कहा कि किसान आंदोलन. वहीं 17 फीसदी लोगों ने ध्रुवीकरण, 16 फीसदी ने कोरोना, 14 फीसदी ने कानून व्यवस्था, 11 फीसदी ने सरकार का काम और सात फीसदी ने पीएम की छवि को प्रभावी मुद्दा माना. 10 फीसदी लोगों ने अन्य मुद्दों का जिक्र किया.
इससे पहले 6 दिसंबर को एबीपी न्यूज़ पर प्रसारित किए गए सर्वे के मुताबिक, इसी सवाल पर 28 फीसदी लोगों ने कहा था कि किसान आंदोलन यूपी में प्रभावी मुद्दा होगा. वहीं 16 फीसदी लोगों ने ध्रुवीकरण को, 15 फीसदी लोगों ने कोरोना को, 13 फीसदी लोगों ने कोरोना को, 13 फीसदी लोगों ने कानून व्यवस्था को, 11 फीसदी ने सरकार के काम को और 7 फीसदी ने पीएम की छवि को प्रभावी मुद्दा बताया था. 10 फीसदी ने अन्य मुद्दों का जिक्र किया.
6 DEC- आज
ध्रुवीकरण - 16% 17%
किसान आंदोलन- 28% 25%
कोरोना- 15% 16%
कानून व्यवस्था- 13% 14%
सरकार का काम- 11% 11%
पीएम की छवि- 7% 7%
अन्य- - 10% 10%
बता दें कि कृषि कानून और किसानों पर दर्ज केस की वापसी पर सरकार के फैसलों के बाद प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमाओं को खाली कर घर लौट चुके हैं. किसान करीब 13 महीने दिल्ली के टीकरी, सिंघु और गाजीपुर में डटे रहे.
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