Anand Bazar Patrika Centenary: एबीपी न्यूज (ABP News) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष (Century) पूरे कर लिए हैं, इस मौके पर मुख्य संपादक (Chief Editor) और प्रकाशक (Publisher) अतिदेब सरकार (Atideb Sarkar) ने एबीपी न्यूज के शताब्दी समारोह का आयोजन किया. इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि आनंदबाजार पत्रिका ने 100 साल पहले 1922 में अखबार की स्थापना के बाद से हमेशा भारतीय मीडिया (Indian Media) परिदृश्य में एक साहसी और सकारात्मक भूमिका निभाई है. आनंदबाजार पत्रिका के शताब्दी समारोह में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेते हुए अमर्त्य सेन ने देश में आनंदबाजार पत्रिका की भूमिका के बारे में  बताया.


उन्होंने बताया कि आनंद बाजार पत्रिका लोगों के लिए ऐसे समय में आशा की किरण बनकर निकलती है जब मजबूत सोच समय की जरूरत बन जाती है. प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, "आनंदबाजार पत्रिका ने हमेशा एक साहसी और सकारात्मक भूमिका निभाई है. आज भी, जब मजबूत विचारों की विशेष जरूरत होती है, तो ऐसे में आनंद बाजार पत्रिका की भूमिका हमें एक बार फिर आशान्वित करती है." अमर्त्य सेन ने इस मौके पर उपस्थित मेहमानों को आनंद बाजार पत्रिका की लॉंचिंग की कहानी भी बताई. 


ऐसे लॉन्च हुई थी आनंद बाजार पत्रिका
अमर्त्य सेन ने इस मौके पर पुराने दिनों को याद करते हुए बताया, "डोल पूर्णिमा का दिन था और पहले दिन का अखबार लाल रंग में छपा था. उस समय, यह प्रमुख अंग्रेजी अखबार द इंग्लिशमैन में चर्चा का केंद्र था. इंग्लिश मैन अखबार ने नए दैनिक के बारे में कहा कि लाल  रंग एक खतरे का निशान होता है."


प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने बताया कि आनंदबाजार पत्रिका सांप्रदायिक सद्भाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हमारे देश में गरीबी और महिलाओं की दुर्दशा दुखद है, ऐसी कहानियों को नागरिकों तक पहुंचाने में आनंदबाजार की भूमिका महत्वपूर्ण रही है."


उन्होंने आगे बताया कि पच्चीस सालों के बाद आनंदबाजार पत्रिका की शानदार तरीके से रजत जयंती मनाई गई थी और उसके बाद भारत की स्वतंत्रता का जश्न इसके संपादकीय पन्ने पर मनाया गया. स्वतंत्रता आंदोलन में आनंद बाजार पत्रिका का उदय भी एक महत्वपूर्ण उलब्धि के रूप में हासिल हुई थी. 


साल 1972 तक भारतीय प्रेस के सामने आने के बाद इसके सामने सुरक्षा का संकट मंडराने लगा. पेपर सर्कुलेशन के हिसाब से देश का सबसे बड़े 15 अखबारों में से एक था. अखबार के स्वर्ण जयंती के संबोधन में तत्कालीन मुख्य संपादक अशोक कुमार सरकार ने कहा था, 'कागज बड़ा हो गया क्योंकि इसने अपने पाठकों की सेवा की थी ताकतवरों की नहीं.'


उन्होंने कहा,'' इसके बाद वो समय भी आया जब संस्थान ने इसकी 75वीं वर्षगांठ मनाई तब भारत अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार कर रहा था. टेलीविजन में अखबार की एंट्री होने वाली थी और तत्कालीन मुख्य संपादक अवीक सरकार ने तब इसे नई ऊंचाइयों की ओर जाने का रास्ता प्रशस्त किया. वहीं पिछले पच्चीस वर्षों में समूह ने एक नये सिरे से उद्यम किया और टेलीविजन, डिजिटल, प्रिंट और रेडियो पर जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर महीने 300 मिलियन भारतीयों तक पहंचता है.''


चीफ एडिटर अतिदेब सरकार ने मेहमानों को दिया धन्यवाद
आनंद बाजार पत्रिका के चीफ एडिटर और प्रकाशक अतिदेब सरकार एबीपी न्यूज के शताब्दी समारोह में भाग लेने के वाले मेहमानों को धन्यवाद देते हुए कहा, यह आप लोगों की बहादुरी थी कि संकट के समय में भी हमने ये मुकाम हासिल किया.  उन्होंने आगे कहा, यह मीडिया और प्रकाशन में महत्वपूर्ण शताब्दी का वर्ष है. रीडर्स डाइजेस्ट, फॉरेन अफेयर्स पत्रिका सौ साल की हो गई. टाइम पत्रिका अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, तो वहीं बीबीसी के पहले रेडियो प्रसारण को सौ साल हो चुके हैं. एलियट की वेस्टलैंड और जॉयस की यूलिसिस को प्रकाशित हुए एक सदी हो चुकी है. 


अतिदेब सरकार ने अपने दो आईकॉन के बारे में बताया
अतिदेब सरकार ने इस दौरान आनंद बाजार पत्रिका को बिना रुके एक सदी के रूप में बदलने वाले नायकों का विशेष तौर पर धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, पिछले पच्चीस वर्षों में समूह के लिए काम करने वाले श्री ध्रुबा मुखर्जी, श्री प्रदीप्त बिस्वास, श्री देबदीप लाला, श्री अविनाश पांडे और सुश्री रमा पॉल और उनकी संबंधित टीमों को समाचार पत्र परिसंचरण, टेलीविजन दर्शकों की संख्या और हमारे समूह की पहुंच पर डेटा और अनुमान प्रदान करने के लिए और श्री सुबीर मित्रा को सभी प्रकार के अनुरोधों को उदारतापूर्वक शामिल करने के लिए. मैं अपने नायकों, मेरी पत्नी ऐश्वर्या और मेरे पिता और गुरु श्री अरूप कुमार सरकार जिनकी प्रेरणा से मैं खड़ा रहा मैं उनका बहुत ऋणी हूं. उन्होंने कहा यहां पर होने वाली सभी गलतियां अकेले सिर्फ मेरी हैं.