ABP News CVoter Survey: अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. सोमवार (22 दिसंबर) को प्राण प्रतिष्ठा का विशेष कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार और बीजेपी और आरएसएस पर विपक्षी पार्टियां लगातार आरोप लगा रही है कि इसे राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया है. इस बीच राम मंदिर को लेकर तमाम सवालों पर एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने जनता की राय समझने की कोशिश की है.
सी-वोटर ने एक त्वरित सर्वे किया है, जिसमें पूछा गया कि राम मंदिर निर्माण में सबसे बड़ा योगदान किसका है, सुप्रीम कोर्ट या मोदी सरकार का? इस पर जनता ने चौंकाने वाले जवाब दिए हैं.
सर्वे में शामिल लोगों में से सबसे ज्यादा 37 फीसदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान सुप्रीम कोर्ट का है. दूसरे नंबर पर 34 फीसदी लोगों ने कहा कि मोदी सरकार का योगदान बड़ा है. 8 फीसदी लोगों ने आरएसएस और वीएचपी के योगदान को बड़ा बताया, जबकि 3 फीसदी लोगों ने राजीव गांधी सरकार के योगदान को बड़ा बताया.
1-1 फीसदी लोगों ने नरसिन्हा राव सरकार और कल्याण सिंह सरकार का नाम भी बड़े योगदान के रूप में लिया, जबकि 6 फीसदी लोगों ने कहा कि सबसे बड़ा योगदान रामभक्त कारसेवकों का है. वहीं, 10 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि वे इस बारे में कुछ 'कह नहीं सकते' हैं.
राम मंदिर निर्माण में सबसे बड़ा योगदान किसका है?
सुप्रीम कोर्ट 37%
नरेंद्र मोदी सरकार 34%
RSS और VHP 8%
राजीव गांधी सरकार 3%
नरसिम्हा राव सरकार 1%
कल्याण सिंह सरकार 1%
राम भक्त कारसेवक 6%
कह नहीं सकते 10%
9 नवंबर 2019 को आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 9 नवंबर 2019 को आया था. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था. कोर्ट के आदेश के अनुसार 2.77 एकड़ की विवादित जमीन ट्रस्ट को दी गई, जिस पर रामलला का मंदिर बन रहा है.
नोट- 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है.. ऐसे में राम मंदिर को लेकर देश का मूड क्या है, इसे लेकर abp न्यूज़ के लिए C-VOTER ने सर्वे किया है. इस सर्वे में 1 हजार 573 लोगों की राय ली गई है. सर्वे 19-20 जनवरी को किया गया है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसद है.
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