नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण से इस जंग में दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन है. ऐसे में क्या भारत में लोग वैक्सीन के प्रति जागरूक हैं? या इसे लेने में किसी तरह की कोई हिचकिचाहट है? और हिचकिचाहट है तो क्यों है? ऐसे कुछ सवालों को लेकर सी वोटर ने एबीपी न्यूज़ के लिए देश के दिल में क्या है ये टटोलने की कोशिश की है. इस सर्वे में लोगों से वैक्सीन को लेकर तमाम तरह के सवाल किए गए हैं.  


वैक्सीन को लेकर सर्वे में पूछा गया सबसे बड़ा सवाल था कि क्या आप वैक्सीन लगवाने के पक्ष में हैं ?  तो अच्छी बात ये है कि 84 फीसदी लोग टीका लगवाने के पक्ष में हैं. जबकि 8 प्रतिशत नहीं थे और 8 फीसदी ऐसे लोग मिले जिन्होंने कहा कि वो कह नहीं सकते.


अब जिन 8 प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाने की बात कही, हमने उनसे ये जानना चाहा है कि उनकी वजहें क्या हैं. यानी वैक्सीन नहीं लगवाने को लेकर उनके क्या बहाने हैं.


- इनमें से 2.43% लोगों को लगता है कि कोरोना से अब कोई खतरा नहीं है.
- 0.35% को लगता है कि इलाज का अभी और बेहतर विकल्प मिलेगा.
- 0.51% को पर्याप्त जानकारी नहीं है.
- 0.50% को लगता है कि वैक्सीन जल्दबाजी में बनी.
- 0.91% लोगों को लगता है कि वैक्सीन से कोरोना हो जाएगा.
- 1.83% को लगता है कि वैक्सीन सुरक्षित नहीं है.
- 0.99% लोगों को लगता है कि वैक्सीन कारगर नहीं है.
- 0.30% लोग धार्मिक कारणों की वजह से वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते.
- 0.55% लोग अन्य कारणों की वजह से वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं.



क्या वैक्सीन आपकी धार्मिक मान्यता के अनुरूप है? इसमें अलग अलग जाति और धर्म के लोगों से बात की गई


- 58 फीसदी अनुसूचित जाति के लोगों का जवाब हां में था जबकि 28 प्रतिशत का नहीं में और 14 फीसदी ने कहा कि कह नहीं सकते.


- एसटी कम्यूनिटी की बात करें तो 55 प्रतिशत ने हां कहा, जबकि 28 फीसदी ने नहीं और 14 प्रतिशत ने जवाब नहीं दिया.


- 62 प्रतिशत ओबीसी का कहना है कि हां वैक्सीन धार्मिक मान्यता के अनुरूप है, जबकि 25 फीसदी का जवाब नहीं में था और 13 प्रतिशत ने कहा कि कह नहीं सकते.


- सवर्णों की बात करें तो 64 प्रतिशत का जवाब हां में था और 25 फीसदी का नहीं में. 11 प्रतिशत ने कहा कि कह नहीं सकते.


- 55 फीसदी मुस्लिम भी वैक्सीन को धार्मिक मान्यता के अनुरूप मानते हैं, जबकि 30 फीसदी नहीं और 15 प्रतिशत उनमें से थे जिन्होंने कहा कि वो कह नहीं सकते.


- 65 प्रतिशत ईसाई भी वैक्सीन को धार्मिक मान्यता के अनुरूप मानते हैं, जबिक 27 प्रतिशत नहीं मानते और 8 प्रतिशत कह नहीं सकते.


- सिख बिरादरी की बात करें तो 57 प्रतिशत को लगता है कि वैक्सीन उनकी धार्मिक मान्यता के अनुरूप है, हालांकि 26 प्रतिशत को ऐसा नहीं लगता, 17 फीसदी का जवाब था कह नहीं सकते.


 



डिस्क्लेमर- कोरोनाकाल में मोदी सरकार के कामकाज पर देश का मूड समझने के लिए रिसर्च एजेंसी C-वोटर ने ABP न्यूज के लिए एक सर्वे किया. इस सर्वे में देशभर के 40 हजार लोगों की राय ली गई है.