Mood of Nation Survey: कोरोना की मार के बीच सरकार ने दिया कितना साथ? जानें, क्या है मूड ऑफ द नेशन
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस ने भी उस खौफनाक मंजर को नजदीक से देखा और उसे झेला है उसके दर्द को समझा जा सकता है. सी-वोटर की तरफ से एबीपी न्यूज़ के लिए सर्वे कर जानने का यह प्रयास किया गया है कि कोरोना काल के दौरान उनकी मदद के लिए सरकार कितनी तैयार थी. उन्हें उस दौरान किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. पल-पल अपडेट्स के लिए आप बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ...
जब लोगों से यह पूछा गया कि आपके परिवार या पड़ोस में कोई संक्रमित हुआ ? तो इसके जवाब में 65% ने कहा कि कोई नहीं हुआ. 24% ने कहा संक्रमित हुए थे ठीक हो गए. 3 % लोगों की जान पहचान अब भी संक्रमित थे. 7% लोगों के घर में मौत हुई है. जबकि 1 प्रतिशत इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए.
जब लोगों से यह पूछा गया कि कोरोना ने लोगों का रोजगार भी बहुत छीना है और अगर छीना नहीं हो तो रोजगार पर असर हुआ है. इसके जवाब में 4 प्रतिशत लोग घर से काम कर रहे हैं, उनकी आय नहीं घटी है. 6 परसेंट घर से काम कर रहे हैं और आय कम हुई है. 11 प्रतिशत बेरोजगार हुए. 2% लोगों का काम फुल टाइम से पार्ट टाइम हो गया. 2 फीसदी का तो काम और आमदनी दोनों रुक गए. 20 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कोरोना के नियमों में काम कर रहे हैं और उनकी आय नहीं घटी है.
37 प्रतिशत लोग कोविड के नियम कायदों में काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी आय भी घटी है. जानकर हैरानी होगी कि 4 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं, जो काम भी कर रहे हैं और उनकी कोई आय भी नहीं हो रही. 3 प्रतिशत लोग घर से काम कर रहे हैं, और सैलरी भी पूरी मिल रही है. जबकि 2 प्रतिशत लोग घर से काम नहीं कर रहे हैं लेकिन उनकी सैलरी घटी है. 7 प्रतिशत लोगों के रोजगार पर दूसरी वजहों से असर हुआ है. जबकि 2 प्रतिशत लोग कह नहीं सकते हैं कि असर हुआ कि नहीं हुआ.
लोगों से जब यह पूछा गया कि क्या वैक्सीन आपकी धार्मिक मान्यता के अनुरूप है? इस दौरान इसमें अलग-अलग जाति और धर्म के लोगों से बात की गई. सर्वे में 58 फीसदी अनुसूचित जाति के लोगों ने हां वे जवाब दिया. 28 प्रतिशत ने कहा नहीं तो वहीं सिर्प 14 फीसदी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है. एसटी कम्युनिटी की बात करें तो 55 प्रतिशत ने कहा हां, 28 फीसदी ने कहा कि नहीं और 14 प्रतिशत ने कुछ नहीं जवाब दिया. 62 प्रतिशत ओबीसी का कहना है कि हां वैक्सीन धार्मिक मान्यता के अनुरूप है, 25 फीसदी का जवाब नहीं है और 13 प्रतिशत ने कहा कह नहीं सकते.
सवर्णों की बात करें तो 64 प्रतिशत का जवाब हां है 25% का नहीं और 11 प्रतिशत कह नहीं सकते. 55% मुस्लिम भी वैक्सीन को धार्मिक मान्यता के अनुरूप मानते हैं, जबकि 30 फीसदी नहीं और 15 प्रतिशत कह नहीं सकते. 65 प्रतिशत ईसाई भी वैक्सीन को धार्मिक मान्यता के अनुरूप मानते हैं, 27 प्रतिशत नहीं और 8 प्रतिशत कह नहीं सकते. सिख बिरादरी की बात करें तो 57 प्रतिशत को लगता है कि वैक्सीन उनकी धार्मिक मान्यता के अनुरूप है, 26 प्रतिशत को ऐसा नहीं लगता, 17 फीसदी का जवाब था कह नहीं सकते.
कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने के पक्ष में सर्वे के दौरान ऐसे 8 फीसदी लोग थे. जब उनसे इस बारे मे वजह पूछी गई तो इनमें से 2.43% लोगों को लगता है कि कोरोना से अब कोई खतरा नहीं है. 0.35% को लगता है कि इलाज का अभी और बेहतर विकल्प मिलेगा. 0.51% को पर्याप्त जानकारी नहीं है. 0.50% को लगता है कि वैक्सीन जल्दबाजी में बनी है. 0.91% लोगों को लगता है कि वैक्सीन से कोरोना हो जाएगा. 1.83% को लगता है कि वैक्सीन सुरक्षित नहीं है. 0.99% लोगों को लगता है कि वैक्सीन कारगर नहीं है. 0.30% लोग धार्मिक कारणों की वजह से वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते. जबकि 0.55% लोग अन्य कारणों की वजह से वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं.
जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या आप वैक्सीन लगवाने के पक्ष में हैं ? इसके जवाब में 84 फीसदी ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाने के पक्ष में हैं. 8 फीसदी ने कहा कि वे इसे लगवाने के पक्ष में नहीं है तो वहीं 8 फीसदी लोगों ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कह नहीं सकते हैं.
देश में कोरोना काल के दौरान लोगों को किस तरह की दिक्कतें हुई और वे सरकार के कामकाज से कितना संतुष्ट है, इस बारे में सी-वोटर की तरफ से किए गए सर्वे में 74 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सरकार के काम से संतुष्ट हैं. लेकिन 6 फीसदी ऐसे लोग थे जिन्हें हॉस्पिटल में बेड और ऑक्सीजन पाने में बहुत ज्यादा परेशानी हुई. 9 फीसदी ने कहा कि ये सब नहीं मिला.
जब लोगों से यह सवाल किया गया कि क्या उन्हें कोरोना होने का डर है तो इसके जवाब में अभी भी 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि हां उन्हें कोरोना हो सकता है. जबकि 43 प्रतिशत को डर नहीं लगता, तो वहीं 4 फीसदी ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कह नहीं सकते हैं.
जब लोगों से सी-वोटर सर्वे के दौरान यह पूछा गया कि क्या कोरोना के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया? इसके जवाब में 52 फीसदी लोगों ने कहा कि हां कोरोना महामारी को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया. जबकि 37 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं मानते और 11 फीसदी ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कह नहीं सकते हैं.
जब लोगों से यह सवाल किया गया कि क्या जरूरत पड़ने पर बेड, आईसीयू और ऑक्सीजन बेड मिले? इसके जवाब में 32 फीसदी लोगों ने कहा कि आसानी से मिल गया. 14 फीसदी ने कहा कि थोड़ी परेशान हुई बेड हासिल करने में. जबकि 6 फीसदी ने कहा कि बहुत परेशानी हुई. 9 फीसदी ने कहा कि नहीं मिला. तो वहीं 39 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ी.
15 अप्रैल के आसपास सरकार से संतुष्ठ लोगों की संख्या 57.7 फीसदी थी. ये वो वक्त था जब दूसरी लहर की शुरुआत हो रही थी. बढ़ते कोरोना के केस के बीच बीजेपी पर पश्चिम बंगाल चुनावों में रैलियां करने का आरोप लग रहा था, तो 22 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने रैली रोकने का ऐलान किया.. तब भी 51.2 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज से संतुष्ट थे. इसके बाद कोरोना से देश में कोहराम मच गया. 2 मई को 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में मतगणना हुई तो असंतुष्टि बढ़ गई. तब तक संतुष्ठ रहने वालों की संख्या सिर्फ 37.3 फीसदी ही बची थी.
16 मई तक आते आते असंतुष्टों की संख्या ज्यादा हो गई, यहां सिर्फ 32.9 प्रतिशत लोग ही संतुष्ट बचे थे. फिर हालात सुधरे, 7 जून को प्रधानमंत्री ने एक देश एक वैक्सीन का ऐलान किया... तो संतुष्टों की संख्या भी बढ़ी और 45.4% लोग सरकार के काम से संतुष्ट दिखे. और फिर 16 जून आते आते संतुष्टों की ये संख्या 52.1% हो गई.
सी-वोटर की तरफ से जब जनता से यह पूछा गया कि कोरोना पर सरकार के कामकाज संतुष्ट है? इसके जवाब में 74% लोगों ने हां में जवाब दिया यानी वो संतुष्ट हैं. जबकि 21 फीसदी लोग असंतुष्ट थे. 5 प्रतिशत ऐसे भी थे जो इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए.
एबीपी न्यूज़ पर सर्वे का यह कार्यक्रम- देश का मूड शुरू हो चुका है. लोगों से पूछा गया है कि वे सरकार के कामकाज से कितना संतुष्ट और कितना असंतुष्ट है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना के नए मामलों में कमी का सिलसिला जारी है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 165 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और 14 मरीजों की मौत हुई है. इतने ही समय में 260 मरीज ठीक हुए हैं. शहर में इस समय 2445 सक्रिय मरीज हैं. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि, दिल्ली में अब तक 1432033 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और इनमें से 14,04,688 लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं 24,900 मरीजों की मौत हुई है.
देश में कोरोना की दूसरी लहर की बेकाबू रफ्तार अब कम होने लगी है. 73 दिनों बाद कोरोना के एक्टिव मामले 8 लाख से कम हुए हैं और 58 दिन बाद एक दिन में मौत का आंकड़ा 2 हजार से कम हुआ है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को पिछले 24 घंटों में 62,480 नए कोरोना केस आए और 1587 संक्रमितों की जान चली गई है. बीते दिन 88,977 लोग कोरोना से ठीक भी हुए हैं यानी कि कल 28,084 एक्टिव केस कम हो गए. इससे पहले बुधवार को 67,208 केस दर्ज किए गए थे.
एबीपी न्यूज़ पर रात 9 बजे से देखिए कि आखिर कोरोना महामारी के दौरान पिछले तीन महीने लोगों के कैसे बीते. उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान अस्पताल में उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा और सरकार के कामकाज से वे कितना संतुष्ट हैं.
बैकग्राउंड
देश के लोगों पर कोरोना की दूसरी लहर की मार ऐसी पड़ी, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. कोरोना से संक्रमित अपने लोगों को बचाने के लिए लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी. जब अस्पताल गए तो बेड नहीं और अगर बेड मिल भी गया तो ऑक्सीजन नहीं. जिस ने भी उस खौफनाक मंजर को नजदीक से देखा और उसे झेला है उसके दर्द को समझा जा सकता है.
सी-वोटर की तरफ से एबीपी न्यूज़ के लिए सर्वे कर जानने का यह प्रयास किया गया है कि कोरोना काल के दौरान उनकी मदद के लिए सरकार कितनी तैयार थी. उन्हें उस दौरान किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा.
इसके साथ ही, वैक्सीन लेने के लेकर उठ रहे सवालों के बीच उनसे यह भी समझने का प्रयास किया गया है कि आखिर इसकी धार्मिक मान्यता क्या है. यानि, अलग-अलग धर्मों के लोग कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या सोचते हैं. साथ ही, जो लोग इस वैक्सीन से बचना चाह रहे हैं उसकी क्या वजह है.
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई तो वहीं इस दौरान कई लोग बेरोजगार हो गए. कई लोगों के वेतन में कटौती की मार झेलनी पड़ी. इस मुश्किल समय में संयम के साथ लोगों ने यह वक्त काटा है. ऐसे में विभिन्न पहलुओं के साथ उनकी यह राय जानने की कोशिश की गई है.
[कोरोनाकाल में मोदी सरकार के कामकाज पर देश का मूड समझने के लिए रिसर्च एजेंसी C-वोटर ने ABP न्यूज के लिए एक सर्वे किया. इस सर्वे में देशभर के 40 हजार लोगों की राय ली गई है.]
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