ABP Cvoter Survey: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है. इसको लेकर देश की सियासत गरमा गई है.
कांग्रेस नेताओं के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार न करने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलावर हो गई और कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रही है. वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि यह एक व्यक्तिगत मामला है और बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है.
सोनिया-खरगे के ना जाने से कांग्रेस को होगा नुकसान?
इस बीच एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने त्वरित सर्वे किया है. इस सर्वे में पूछा गया है कि क्या सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अयोध्या नहीं जाने से कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव में नुकसान होगा? इस सवाल के जवाब में लोगों ने हैरान करने वाली प्रतिक्रिया दी है.
सर्वे के मुताबिक, 55 फीसदी लोगों का मानना है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अयोध्या न जाने से उसे नुकसान होगा. वहीं, 30 प्रतिशत जनता ने कहा कि इससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा, जबकि 15 पर्सेंट लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे सके.
कांग्रेस ने बताया बीजेपी का इवेंट
बता दें कि बुधवार (10 जनवरी) को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की तरफ से बयान जारी कर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा सामरोह को आरएसएस और बीजेपी का इवेंट बताया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला, जिसे उन्होंने सम्मान के साथ अस्वीकार कर दिया है.
'चुनावी लाभ के लिए मंदिर का उद्घाटन'
जयराम रमेश ने कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं. धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत मामला है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने सालों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है. यह स्पष्ट है कि अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है.
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