नई दिल्ली: मेदांता ग्रुप के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन e-शिखर सम्मेलन के मंच पर आए. डॉ नरेश त्रेहन ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि हमारी तैयारी अच्छी रही. मेडिकल में जो लोग हैं, वो आज की सेना हैं. पीपीई, बेड्स को लेकर तैयारी का समय मिला. लोगों को मास्क कैसे लगाया जाए यह पता चला.


डॉ नरेश त्रेहन ने तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ाए जाने को लेकर कहा कि मेरे ख्याल में ऐसा नहीं होना चाहिए कि लॉकडाउन हटा दिया जाए, मैं ये स्वास्थ्य के मद्देनजर कह रहा हूं. आर्थिक नजरिए से नहीं कह रहा. लॉकडाउन अगर खोला जाता है तो धीरे-धीरे खोला जाना चाहिए. दो-चार हफ्तों में मैंने देखा कि हॉट स्पॉट की संख्या में कमी आई. मजदूरों की हालत खराब है, लोग कष्ट में हैं. हम यह भी चाहते हैं कि यह कम हो. मेंटली भी लोग निराश हैं. अगर संतुलन टूटा तो ये बहुत बुरा होगा. 10 प्रतिशत जो बिजनेस और आर्थिक एक्टिविटी है उसे खोला जाना चाहिए. इसके बाद इंडस्ट्री खोला जाए. इससे लोगों का रोजगार शुरू होगा.


डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि ये जो कोरोना महामारी फैली है उसमें 80 से 85 प्रतिशत मरीज खुद ही ठीक हो जाएंगे. जिनमें कोरोना के हल्के लक्षण होंगे. हमें इसमें देखना होगा कि इनसे और लोगों में संक्रमण नहीं फैले. मास्क पहनेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे और हाथ साफ रखेंगे यही इसका इलाज है.


उन्होंने आगे कहा,'' लोग यह न सोचे कि गर्मी आ गई तो लापरवाह हो जाएंगे. इससे बड़ी गलती नहीं होगी. प्लाजमा से सिर्फ उम्मीद जागी है. मुंबई में जिस मरीज को प्लाजमा थेरेपी दी गई उसकी मौत हो गई है. ये प्लाजमा थेरेपी सिर्फ उम्मीद है. इसलिए सरकार ने इसको लेकर रुकने को कहा है. 10-15 दिन में प्लाजमा थेरेपी के बारे में पता चल जाएगा कि यह बिल्कुल सही या नहीं.''


हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को लेकर उन्होंने कहा,'' ये दवा अभी मलेरिया में यूज होती है और इसलिए कहा गया कि इसका वायरल में इस्तेमाल हो सकता है. हालांकि ये भी सिर्फ एक वायरल लोड कम करने के काम आती है. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन जेनरल पब्लिक को नहीं लेनी चाहिए. सिर्फ डॉक्टर से सजेशन लेकर लें.''


कोरोना की वेक्सीन कब तक बनेगी इसको लेकर उन्होंने कहा,'' हमारा एक टारगेट होता है. मान लीजिए जैसे कोविड-19 हमारा टारगेट है. दो तरीके होते हैं. एक तो ये कि इस वायरस को डेड कर दिया जाए और फिर उसकी वेक्सीन बनाकर लोगों को दिया जाए. इसका प्रोसेस है कि पता लगाए इसका DNA क्या है और फिर उसके एगेंस्ट वेक्सीन बनेगी. फिर उसे पहले जानवर पर ट्राइ करते हैं और अगर वह सेफ होती है तो फिर आदमी पर करते हैं. इसको हम फेस वन कहते हैं. आज हम फेस वन में हैं. ऑक्सफॉर्ड के ग्रुप ने फेस वन कंप्लीट कर लिया है. अगर उसका ट्राइल सफल रहता है तो फेस टू में लार्जर ग्रुप को दिया जाएगा. इसमें देखा जाएगा कि उनकी एंटी बॉडी डेव्लप हो रही है तो फिर उसे फेस थ्री में ट्राइल किया जाए. हालांकि 12 महीने यानी एक साल इसमें लगेगा.''