नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के ई शिखर सम्मेलन में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी के बीच कई मुद्दो पर जमकर बहस हुई. दोनों ने अपनी बात बेबाकी के साथ रखी. बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने पर कहा,'' हम कभी भी चर्चा करेंगे तो मोदी सरकार के छह साल को साथ में देखेंगे. हम दोबारा जब जीते तो यह पक्का हो गया कि पांच साल के काम को लोगों ने न सिर्फ स्वीकारा बल्की पीएम मोदी में फिर एक बार पूरा विश्ववास दिखाया. एक वर्ष की बात करें तो देश के लिए इस दौरान कई निर्णय लिए गए. कई मुद्दे थे चाहे 370 हो या कोई और जिनको लेकर अगले 30 साल तक उलझे रहते.''


उन्होंने आगे कहा,'' आज केंद्र में हमारा शासन है और 17 राज्यों में बीजेपी का शासन है. यह बड़ी संख्या है. जहां हम विपक्ष में हैं वहां भी मजबूती के साथ हैं. हम इस बात को हमेशा मानें कि हम पीएम मोदी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं. हमेशा सुधार की भी गुंजाइस रहती है. आज हम प्रमुख राज्यों में सरकार चला रहे हैं.''


राजीव प्रताप रुडी ने लॉकडाउन पांच रो लेकर कहा,'' बड़ा कठिन सवाल है. ये प्रधानमंत्री और गृहमंत्री निर्णय लेंगे. कोरोना काल के हम मध्य में हैं या अंत में यह भी नहीं कह सकता. सभी राज्य सरकार अपने तरीके से तैयारी कर इससे निपटने की कोशिश कर रही है. ''


कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने राजीव प्रताप रूडी के बातों पर पलटवार करते हुए कहा,'' पिछला एक साल भारत के लिए त्रासदी भरा रहा है. उसका कारण बड़ा साफ है. पिछले दो महीने करोड़ो लोग, मजदूर भाई अपना सामान सर पर उठा कर अपने घर जा रहे हैं. मुझे ये 1947 के विभाजन की याद दिला रही है. पहले तो सरकार नींद से नहीं जागती. जब जागती है तो छपड़ा जाने वाली ट्रेन पश्चिम बंगाल बंगाल चली जाती है.''


राजीव प्रताप रूडी ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लेट होने को लेकर आगे कहा,'' मनीष जी आप हमारे मित्र हैं. आप पंजाब से हैं और जिन मजदूरों के लिए आप रो रहे हैं वो हमारे बिहार से हैं. ये हमारे मजदूर हैं. ये किसको अमीर बनाने गए थे. दिल्ली में काम करते हैं तो केजरीवाल सरकार को अमीर बनाते हैं और गुजरात जाते हैं तो वहां की सरकार को बनाते हैं. आप बहुत चिंतित हैं लेकिन थोड़ा आप लोगों का भी दायित्व बनता था. कुछ दिन उन्हें अपने शासन वाले राज्य में रोक लेते क्योंकि जानें में बड़ा कष्ट उठा रहे हैं ये सबने देखा है. ऐसा क्या वातावरण हुआ कि जब उनकी जरूरत नहीं हुई तो आपने उनको भगा दिया.''


उन्होंने श्रमिक ट्रेनें लेट होने को लेकर आगे कहा,'' उनके पीछे एक तकनीकि दिक्कत थी. जैसे छपड़ा में हमारी आठ ट्रेनें आकर रुकी थी, 24 घंटे से ज्यादा लग गया. बार बार डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के यहां फोन आ रहा था कि क्लियर कीजिए. हमारे जिला में 1 लाख से ज्यादा लोग उतर गए. उनका खाने-पीने का व्यवस्था करना. क्वारंटीन करना. हम कैसे मैनेज करते.''