समंदर की निगहबानी के लिए इंडियन कोस्टगार्ड (Indian Coast Guard) यानी भारतीय तटरक्षक बल समुद्री जहाज के साथ साथ टोही विमान और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल भी करता है. इसके अलावा इन विमानों का इस्तेमाल समंदर में प्रदूषण नियंत्रण और सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भी किया जाता है. क्योंकि समंदर में प्रदूषण नियंत्रण और सर्च एंड रेस्क्यू कोस्टगार्ड का मुख्य चार्टर है.
पाकिस्तानी सीमा के करीब अरब सागर में कोस्टगार्ड के सुरक्षा-तंत्र का जायजा लेने के लिए एबीपी न्यूज की टीम ने गुजरात के पोरबंदर से लेकर कच्छ के जखाओ पोर्ट तक कोस्टगार्ड के युद्धपोत में सफर किया.
गुजरात के पोरबंदर में तटरक्षक बल का कोस्टगार्ड एविएशन सेंटर है. यहां पर कोस्टगार्ड के डोरनियर टोही विमान और स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) तैनात हैं. इस वक्त इंडियन कोस्टगार्ड के बेड़े में 60 से भी ज्यादा विमान हैं, जो दिन-रात देश की 7500 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी कोस्टलाइन यानी तटीय सीमाओं की निगहबानी करते हैं. तटरक्षक बल के मुख्य प्रवक्ता, डीआईजी अनिकेत सिंह के मुताबिक, वर्ष 2025 तक करीब 100 विमान (फिक्स विंग और रोटरी दोनों मिलाकर) कोस्टगार्ड के बेड़े में शामिल होने का प्लान है.
पोरबंदर के एविएशन सेंटर में खास तौर से चीन और पाकिस्तान के जहाज के बारे में साफ तौर से लिखा था कि उनकी पहचान कैसे करनी है. क्योंकि तटों की सुरक्षा के साथ समंदर के करीब 2.2 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन यानी ईईजेड की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी नौसेना के साथ-साथ कोस्टगार्ड की है.
इसके अलावा समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू का क्षेत्र कहीं अधिक ज्यादा है. ऐसे में दुश्मन के जहाजों के बारे में तटरक्षक बल के नौसैनिकों को ठीक प्रकार से पता होना लाजिमी है.
प्रताप के नाम से चर्चित इस एविएशन सेंटर में सबसे पहले दो खास मिशन के बारे में जानकारी दी गई. पहला था एक सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में और दूसरा था दो जहाजों के टकराने का, जिससे समंदर में ऑयल लीक का खतरा बनने की आशंका थी. इसके लिए बाकयदा कोस्टगार्ड के अधिकारियों और पायलट को ब्रीफिंग दी गई. इस ब्रीफिंग में किन किन बातों का ध्यान रखना है उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.
सर्च एंड रेस्क्यू के लिए एक एलएएच हेलीकॉप्टर को समंदर में भेजा गया, जबकि तेल रिसाव की रोकथाम के लिए एक डोरनियर एयरक्राफ्ट और एक एएलएच हेलीकॉप्टर को भेजने की तैयारी थी. क्योंकि समंदर में प्रदूषण नियंत्रण का काम तटरक्षक बल को दिया गया है. डोरनियर एयरक्राफ्ट की महिला पायलट, कमांडेंट राजश्री राठौर ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण इसलिए बेहद जरूरी है क्योंकि अगर समंदर में तेल फैलता है तो उससे समुद्री जीव-जंतुओं को हानि पहुंचती है.
डोरनियर एयरक्राफ्ट के को-पायलट, डिप्टी कमांडेंट पंकज ने बताया कि डोरनियर विमान वैसे तो एक टोही विमान है लेकिन इंडियन कोस्टगार्ड इसका इस्तेमाल प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी करती है. इसके लिए डोरनियर विमान में 200-200 किलो के दो टैंक लगा दिए जाते हैं.
आसमान से फिर एक रोटेटिंग नोजिल के द्वारा इसमें भरे ऑयल स्पिल डिसपैरसेंट (ओएसडी) को समंदर में फैले तेल पर स्प्रे किया जाता है. स्प्रे करने से तेल जमकर समंदर की तलहटी में जाकर जमा हो जाता है. इससे मरीन-लाइफ को नुकसान नहीं होता है.
इसी तरह से कोस्टगार्ड ने एलएएच हेलीकॉप्टर में एक 900 किलो की 'बकेट' को लगाया है. इस बड़ी बकेट में भी ओएसडी यानी ऑयल स्पिल डिसपरसेंट भरकर तेल पर आसमान से छिड़क दिया जाता है.
इसके बाद डोरनियर विमान और एलएएच हेलीकॉप्टर समंदर की तरफ रवाना हो जाते हैं. इसके साथ ही एबीपी न्यूज की टीम भी कोस्टगार्ड के ऑफसोर पैट्रोल वैसेल, आईसीजीएस सजग में अरब सागर की तरफ रवाना हो जाती है. जहाज पर हमें बताया गया कि एएलएच हेलीकॉप्टर को एक सर्च एंड रेस्क्यू मिशन की ड्रिल के लिए भेजा गया था.
इसके लिए कोस्टगार्ड के ही एक नौसैनिक को समंदर से बचाने का अभ्यास करना था. समंदर में होवर करते हुए एलएएच के क्रू ने नौसैनिक को विंचिंग यानी रस्सी के सहारे समंदर से हेलीकॉप्टर में खीच लिया.
आंकड़ों की मानें तो कोस्टगार्ड के विमान और हेलीकॉप्टर अब तक करीब 6750 उड़ान भर चुके हैं. आंकड़ों की ही मानें तो अपने स्थापना से लेकर अबतक कोस्टगार्ड समंदर में 10 हजार से ज्यादा मछुआरों, नाविकों इत्यादि की जान बचा चुकी है.
समंदर में किसी जहाज को अचानक किसी सामान की जरूरत पड़ जाए तो उसके लिए भी एएलएच हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी भी एक ड्रिल समंदर में करके दिखाई गई. आपको बता दें कि समंदर के ऊपर फ्लाइंग को जाने माने एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक बताया था. वे खुद एक नेवल एविएशन पायलट जो थे और समुद्र के ऊपर फ्लाइंग की चुनौतियों को बखूबी जानते थे.
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