महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट के पहले दिन शिरकत की. आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र सरकार में पर्यावरण व पर्यटन मंत्री भी हैं. पर्यावरण उनके दिल के बेहद करीब भी है. जब उन्हें यह दायित्व सौंपा गया तो कहा गया कि उन्हें प्रशासनिक अनुभव नहीं हैं. जब इसी से जुड़ा सवाल पूछा गया कि पर्यावरण मुद्दा उनका पैशन है इसलिए क्या अनुभव की कमी पूरी हो गई? इस पर आदित्य ठाकरे ने कहा, पर्यटन, पर्यावरण और पैशन वो जरूरी था. जब कैबिनेट बनती है तो पर्यावरण हो या पर्यटन, कई राज्यों में इस पर ज्यादा फोकस होता नहीं है. इसे साइड पोर्टफोलियो कहा जाता है.
महाराष्ट्र में सहयाद्रि है, बीच हैं, स्प्रिचुअल टूरिज्म और बायोडायवर्सिटी है. हम देश और दुनिया में घूमते रहते हैं और ये सोचते हैं कि इसे देश के सामने कैसा लाया जाए. पर्यावरण एक बड़ा मसला बन चुका है. कई बड़े शिखर सम्मेलनों में भी पर्यावरण पर बात होती है और विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष जब आते हैं, तो उनके डेलिगेशन में भी पर्यावरण का मुद्दा होता है. मैं समझता हूं कि महाराष्ट्र के लिए जो ये मुद्दे प्राथमिकता पर होने चाहिए थे, उसे थोड़ा ऊपर हम ला चुके हैं.
जब ठाकरे से पूछा गया कि ग्लास्को में जो यूनाइटेड नेशन्स क्लाइमेट चेंज पर जो मीटिंग थी, उसमें भारत सरकार ने जो टारगेट रखा वो काफी महत्वाकांक्षी है, क्या आप ऐसा मानते हैं? इसपर आदित्य ठाकरे ने कहा, मैं वहां था इंडियन डेलिगेशन भी था. दुनिया 2050 की बात कर रही है, हम 2070 की बात कर रहे हैं. ये भी बात चल रही थी कि कहीं ये लेट तो नहीं हो रहा है.
मेरा ये मानना है कि अगर पीएम ने 2070 का टारगेट सेट किया है तो उन्होंने पूरे भारत की बात की है. उन्होंने देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की बात की है. जो भी राज्य थोड़े महत्वाकांक्षी हैं, उनके लिए कार्बन फुटप्रिंट अभी काफी अहम होता है क्योंकि औद्योगिकरण, एनर्जी रिसोर्सेज, ट्रांसपोर्टेशन भी देखना होता है. लेकिन जो महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु हो, दिल्ली हो, वहां हम कार्बन न्यूट्रैलिटी की ओर बढ़ सकते हैं. ये करते वक्त हम इंडस्ट्री को मना नहीं कर रहे बल्कि उनसे सिर्फ पर्यावरण से जुड़े नियमों का पालन करने को कह रहे हैं.
बता दें कि ग्लासगो में आयोजित 'वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26' में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत, 2030 तक अपनी Non-Fossil Energy Capacity को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा. भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत energy requirements, renewable energy से पूरी करेगा. भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा. 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा. वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा
आदित्य ने गिनाईं उपलब्धियां
आदित्य ठाकरे ने आगे बताया कि हम पिछले 2 साल में मैंग्रोव के 11 महीनों में इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के तहत लाए हैं और ये काम जारी है. 10 कंजर्वेशन बनाए हैं. 2 सेंक्चुरीज बनी हुई हैं. मुंबई जैसे शहर में हमने आरे में 800 एकड़ का फॉरेस्ट एरिया जोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी ने 2070 तक का लक्ष्य रखा है तो महाराष्ट्र जैसे राज्य को इसे 2050 तक कर देना चाहिए.
जब उनसे पूछा गया कि एक डिबेट चलती है डेवेलपमेंट बनाम पर्यावरण और उसके समाधान के तौर पर सतत विकास की बात की जाती है तो आपका इस पर क्या कहना है? जवाब में मंत्री ठाकरे ने कहा, मुझे लगता है कि दोनों साथ में ही आगे जाते हैं क्योंकि विकास हम सभी लोगों के लिए करते हैं. ह्यूमन लाइफ के लिए करते हैं. स्थिरता की बात भी अपने लिए करते हैं. अगर हम नहीं होंगे तो कैसा विकास.
जब उनसे पूछा गया कि योजनाएं जमीन पर लागू होती नजर नहीं आती हैं. मेट्रो कार शेड का काम अब तक रुका पड़ा है. इस पर ठाकरे ने कहा, उस पर राजनीति चल रही है लेकिन हम हल निकाल रहे हैं. लेकिन मुंबई से लेकर नागपुर हाई वे जो है, उस पर हमने अंडरपास बनाए हैं वाइल्ड लाइफ के लिए. शायद वो देश का पहला हाइवे है, जहां अंडरपास बने हैं. वहां हम 250 मेगावॉट के सोलर प्लांट्स लगा रहे हैं.
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