एबीपी न्यूज आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने बचपन को बचाने के अपने सफर के दौरान आईं परेशानियों से लेकर भारत को सोने की चिड़िया बनाने तक के सपने के बारे में बताया. इस दौरान उनसे मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के बारे में पूछा गया, जिसमें वह 5+3+4+4 की बात कर रही है और कह रही है कि अपनी मातृभाषा में पढ़ना चाहिए. इस पर कैलाश सत्यार्थी ने कहा, मुझे लगता है कि नई शिक्षा नीति बहुत अच्छी है और बहुत सारे पुराने फ्रेमवर्क थे, चलन थे, उनसे छुटकारा मिलेगा. इससे बच्चों को स्वाभाविक रूप से विकसित होने का फायदा मिलेगा. इससे बच्चे ज्यादा सीख पाएंगे. 


'द ह्यूमैनिटी इंडेक्स' विषय पर चर्चा के दौरान उन्होंने कई अन्य मुद्दों पर भी बात की. कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, भारत का असली विकास तभी होगा जब सभी को समान शिक्षा मिल पाएगी, साथ ही सबसे आखिरी पंक्ति में खड़ी बच्ची के चेहरे पर हम मुस्कान लाने का काम करेंगे.  






देश के हर बच्चे को हो अच्छी शिक्षा का अधिकार


अगले 25 सालों में भारत को ऐसा क्या करना चाहिए, जिससे भारत को सोने की चिड़िया के रूप में देखा जा सके. इस सवाल के जवाब में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, देश का हर बच्चा निर्भय होकर पूरी आजादी के साथ स्कूल के क्लासरूम में हो, वैसे ही उसे शिक्षा मिले जैसे देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों और नेताओं के बच्चों को मिल रही हो. इस आइडिया को मापने के लिए गांधी जी से प्रेरित होकर मेरा एक पैमाना है कि देश के बहुत गरीब इलाके में एक लड़की की कल्पना कीजिए जो गुलामी में पैदा हुई है, जिसके मां-बाप बंधुआ मजदूरी में रहते हैं. जो बच्ची हर तरह के यौन शोषण के लिए ट्रैफिकिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर हम सब लोग उस बच्ची के चेहरे पर आज मुस्कान लाएंगे तो 25 साल बाद भारत दुनिया का महानतम राष्ट्र होगा.