ABP Ideas of India: फिल्म रिव्यूज को सीरियसली नहीं लेते हैं डायरेक्टर आनंद एल राय, कबीर खान ने दिया ये जवाब
आनंद एल राय ने फिल्मों के क्रिटिक रिव्यू को लेकर कहा कि, पिछले कुछ साल तक मैं इन रिव्यूज को बहुत सीरियली लेता था. लेकिन फिर मुझे अच्छे से समझ आ गया कि मुझे अपनी ऑडियंस तक पहुंचना है.
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एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में बॉलीवुड के तीन बड़े डायरेक्टर्स ने हिस्सा लिया. जिनमें कबीर खान, आनंद एल राय और नागेश कुकनूर शामिल थे. तीनों ने अपनी कहानियों और फिल्में बनाने के तरीकों के बारे में खुलकर बात की. इस दौरान फिल्म रिव्यू पर इन बॉलीवुड डायरेक्टर्स ने काफी चौंकाने वाले बयान भी दिए.
फिल्म रिव्यू को सीरियस नहीं लेते आनंद एल राय
कई हिट फिल्मों को डायरेक्ट कर चुके आनंद एल राय ने फिल्मों के क्रिटिक रिव्यू को लेकर कहा कि, पिछले कुछ साल तक मैं इन रिव्यूज को बहुत सीरियली लेता था. लेकिन फिर मुझे अच्छे से समझ आ गया कि मुझे अपनी ऑडियंस तक पहुंचना है. जो मेरे अंदर बदलाव आया वो इसलिए क्योंकि कम से कम 200 से ज्यादा रिव्यू आते हैं. आप किसको पढ़कर कौन सी बात अपने दिल से लगा लेंगे, या कौन सी बात की वजह से आप अपनी फिल्म मेकिंग पर काम शुरू कर देंगे... ये थोड़ा मुश्किल हो गया. मुझे लगता है कि अब इन रिव्यूज के भी रिव्यूज होने चाहिए, कि किस वजह से रिव्यू ऐसा किया जा रहा है. पीछे की वजह पता करने के लिए भी रिव्यू करना होगा. आनंद एल राय ने रिव्यू पढ़ने को लेकर आगे कहा कि, बचपन में सुना था कि प्यार दिखता नहीं महसूस हो जाता है. आपकी कहानी और आपकी फिल्म को जो प्यार मिलता है तो वो पता चल जाता है, इसे पन्ने या किसी को जुबान से जानने की जरूरत नहीं है.
फिल्म रिव्यू पर कबीर खान की राय
इसी मुद्दे पर डायरेक्टर कबीर खान ने कहा कि, हर रिव्यू करने वाले को हमारी हर कहानी पसंद नहीं आ सकती है. मेरी खुद की मां को मेरी सारी कहानियां अच्छी नहीं लगती हैं तो क्रिटिक को कैसे लगेंगीं. कभी-कभी फिल्म को लेकर थोड़ा सेंस मिल जाता है कि किस तरफ ये फिल्म जा रही है. लेकिन अब ये इतने ज्यादा हो चुके हैं कि रिव्यू की अहमियत थोड़ी कम हो गई है. ऐसे में आप किसी एक रिव्यू को पिक नहीं कर सकते हैं कि ये हमेशा सही होगा.
रिव्यू नहीं पढ़ते हैं नागेश कुकनूर
नागेश कुकनूर ने फिल्मों के रिव्यूज को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने बताया कि, 1998 में हैदराबाद ब्लूज के बाद मैंने आज तक अपनी फिल्मों का कोई रिव्यू नहीं पढ़ा है. मैं रिव्यू की वैल्यू नहीं समझ पाता हूं. मैं हमेशा अपने परिवार और दोस्तों को बताता हूं कि अगर आपको कोई मूवी पसंद आए तो आप फिल्म मेकर को बोलिए कि आपको ये बहुत पसंद आई. लेकिन अगर आपको ये पसंद नहीं आई तो आप चुप रहिए. क्योंकि कोई भी ये नहीं सुनना चाहता है कि आपने बकवास फिल्म बनाई है.
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