एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 के दूसरे दिन पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ और शशि थरूर भी शामिल हुए. इस दौरान गवर्नर जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल सरकार पर जमकर हमला बोला. जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल का काम संविधान की रक्षा करना होता है. इन दोनों पदों की शपथ भी काफी अलग होती है. 


जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें भारतीय संविधान की प्रस्तावना में यकीन रखना चाहिए लेकिन मैं पिछले 2.5 साल से बतौर पश्चिम बंगाल गवर्नर पीड़ित हूं. कहा जाता है कि बंगाल के राज्यपाल का मुख्यमंत्री से आमना-सामना है. मैं आप सभी से चुप्पी तोड़ने की अपील करता हूं.
दुर्भाग्य से आज देश को भीतर और बाहर से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैय दुनिया का कोई भी देश इस तरह की चुनौतियों का सामना नहीं कर रहा है.






कांग्रेस नेता शशि थरूर और जगदीप धनखड़ के बीच कुछ मुद्दों पर तेज बहस होती हुई दिखी जब शशि थरूर ने कहा कि ममता बनर्जी एक प्रभावशाली नेता हैं और उन्होंने राजनीति में अपना मुकाम खुद के बल पर बनाया है. वहीं जगदीप धनखड़ ने कहा कि ममता बनर्जी मेरी छोटी बहन की तरह हैं और 30 साल पहले उन्हें चोट लगने पर मैं उनसे मिलने पश्चिम बंगाल गया था. हालांकि कई बार रिश्तों को सरल और सहज बनाए रखने के लिए छोटी बहन को भी आइना दिखाना जरूरी है. पश्चिम बंगाल में हुई चुनावी हिंसा से कोई इनकार नहीं कर सकता है.


उन्होंने कहा, चुनावों के समय जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है. मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कोई मीडिया नहीं है. वहां की सीएम से कोई सवाल नहीं पूछ सकता है, सीनियर एडिटर्स को भी ये अधिकार नहीं है कि वो कोई सवाल कर सकें. मीडिया अपना काम नहीं कर पा रहा है और मैं मीडिया से हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि वो ग्राउंड रियलटी को दिखाएं और ये जमीनी हकीकत इतनी कड़वी है कि गवर्नर होने के नाते मुझ से कहा जाना चाहिए कि मैं अपना काम क्यों नहीं कर पा रहा हूं और राज्य सरकार से सवाल कर रहा हूं या रिपोर्ट क्यों नहीं दे पा रहा हूं. 


आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में शामिल हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि हम अपने इतिहास के सबसे नाजुक मोड़ से गुजर रहे हैं. जब भी मैं पश्चिम बंगाल के किसी भी हिस्से में जाता हूं तो वहां कोई ना कोई होता है जिसने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. आज देश के सामने जो चुनौतियां हैं, वो काफी बड़ी हैं. 


पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने आगे कहा, "बौद्धिक क्षमता एक महान गुण है लेकिन बौद्धिक विकृति एक लोकतांत्रिक राजनीति के लिए सबसे बड़ा खतरा है. मैं इसे ऐसे देखता हूं कि एक अलग तरह की राजनीतिक प्रवृत्ति के लोग जो सक्रिय राजनेता नहीं हैं, लेकिन वो चुनावी मौसम में अलग-अलग तरीके से राजनीति करते हैं. 


जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें अपने धर्म पर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए और इसके लिए गर्व करना चाहिए. वहीं देश की संस्थाओं के लिए ये जरूरी है कि वो संविधान से चलें और संविधान के मुताबिक ही कार्य करें ना कि अपने मन के हिसाब से चलें. आजादी की आधारशिला रखने वाले कितने लोगों को देश आज सम्मान दे रहा है और याद कर रहा है? इस पर हमें सोचना चाहिए. 


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