लेखक और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट सुधींद्र कुलकर्णी ने एबीपी न्यूज के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में हिस्सा लिया. जिसमें उन्होंने मौजूदा दौर की राजनीति और इतिहास के साथ हो रही छेडछाड़ का जिक्र किया. साथ ही फिल्म कश्मीर फाइल्स पर आरोप लगाते हुए कहा कि, इसके जरिए सभी मुस्लिमों को दोषी बनाया जा रहा है. सुधींद्र कुलकर्णी के साथ लेखक और एकेडमिशियन प्रोफेसर मकरंद आर परांजपे भी इस इवेंट में शामिल थे.
कश्मीर फाइल्स को लेकर चला कैंपेन
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि, जो भी इतिहास में हुआ उसे नहीं मिटाया जाना चाहिए और इससे इनकार भी नहीं किया जाना चाहिए. वहीं आज के मुस्लिमों को उसके लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए जो कई सौ साल पहले हुआ था. कश्मीर फाइल्स का ही उदाहरण ले लीजिए, जिसमें बताया गया है कि कश्मीर में क्या हुआ था. लेकिन देशभर में एक कैंपेन चलाया गया जिसमें मुस्लिमों को दोषी ठहराया गया. लेकिन सच्चाई वहां कुछ और थी. मुस्लिम भी इस हिंसा का शिकार हुए थे और कई जगहों पर मुस्लिमों ने कश्मीरी पंडितों को बचाने का काम किया था. कुलकर्णी ने कहा, इतिहास को देखने के कई तरीके हैं. अगर इतिहास का आज समाज को बांटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, तो ये काफी गलत है. लेकिन अगर इतिहास को उसमें हुई गलतियों को समझने के लिए पढ़ा जाए तो ये काफी अच्छा है.
मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार पर पीएम को करनी चाहिए निंदा - कुलकर्णी
सुधींद्र कुलकर्णी ने कंगना रनौत का जिक्र करते हुए कहा कि, अब ऐसा वक्त आ चुका है जब कहा जा रहा है कि 2014 में भारत आजाद हुआ था. पिछले सारे बलिदानों और योगदानों को भुलाकर ये कहा जा रहा है. ये इतिहास और भारत का बड़ा अपमान है. इस बीच इस चर्चा में मौजूद एकेडमिशियन प्रोफेसर मकरंद आर परांजपे ने कहा कि, मुस्लिमों के खिलाफ जो कुछ भी हो रहा है उसे लेकर उनके संगठनों को आगे आना चाहिए. ऐसे ही इवेंट करने चाहिए और उसमें इस पर चर्चा होनी चाहिए कि क्या गलत है और क्या सही.
इस बात को आगे बढ़ाते हुए सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि, चाहे वो कोई भी धर्म हो, अगर गलतियां की हैं तो उसे स्वीकार करना चाहिए. अगर इस्लाम में कुछ गलत हुआ है तो मुस्लिम नेताओं की ये जिम्मेदारी है कि वो इसे गलत कहें. आज भी इस्लाम का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. लेकिन इसके लिए एक आम मुसलमान को जिम्मेदार ठहराना गलत है. ये मौजूदा दौर में हो रहा है और भारत के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वो इसकी निंदा करें. उन्होंने अब तक ये नहीं किया है.
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