नई दिल्ली: मध्य प्रदेश शिखर सम्मेलन में शनिवार को कांग्रेस नेता जीतू पटवारी और राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल के बीच तीखी बहस हुई. जीतू पटवारी ने बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया, जिसके जवाब में कमल पटेल ने कहा कि आरोप बिल्कुल गलत हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार इनके खुद के कर्मों की वजह से गिरी है. चुनाव जीतने के लिए इन्होंने हर वर्ग के साथ छल किया.
दोनों नेताओं में नाथूराम गोडसे को लेकर भी जमकर बहस हुई. कमल पटेल से जब पूछा गया कि आप किस विचार के हैं तो उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रवादी विचार का हूं. जब कमल पटेल से पूछा गया कि नाथूराम गोडसे देश द्रोही है या नहीं ? तो कमल पटेल ने कहा कि आप कौन होते हो मुझसे ये पूछने वाले. इस दौरान जीतू पटवारी ने कमल पटेल से कहा कि नाथूराम गोडसे मुर्दाबाद बोलें तो उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ज़िंदाबाद. उन्होंने कहा कि जो भी हत्या है उसका हम विरोध करते हैं.
जीतू पटवारी ने कहा कि आठ राज्यों की सरकार देश के प्रधानमंत्री ने गिरा दी. उन्होंने कहा कि ये आरोप नहीं है, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद मंच से इस बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, "देश के प्रधानमंत्री ने, देश के गृह मंत्री ने लोकतंत्र की हत्या करके जो चेन चलाई, उसका असर हम पर भी हुआ. थोड़ी चूक हमसे भी हुई. हम नहीं समझ पाए कि देश के प्रधानमंत्री एक अगल भारत बनाना चाहते थे. उन्होंने ऐसा भारत बनाया, जिसमें लोकतंत्र की कीमत नहीं बची है."
बीजेपी में कांग्रेस पार्टी के नेताओं के शामिल होने पर पूछे गए सवाल पर मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, "ज्योतिरादित्य सिंधिया को हम नहीं लाये वो खुद आए." उन्होंने कहा कि हमारा दिल बड़ा है, भारतीय जनता पार्टी एक गंगा है और ये पूरे देश को पवित्र करना चाहती है. हम देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं. जो भी कांग्रेस छोड़ कर आएं, उनका स्वागत है.
शिवराज सरकार ने नहीं खरीदी किसानों की फसल
जीतू पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह की सरकार ने किसानों की फसल नहीं खरीदी. किसानों की फस खुले में बर्बाद हो रही है. इसके अलावा उन्होंने ये दावा भी किया कि कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या के कम मामले आए. हालांकि कृषि मंत्री कमल पटेल ने उनके आरापों से इनकार किया. उन्होंने कहा कि हम सही कीमत पर किसानों से फसल खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम किसानों से एक एक दाना खरीदेंगे. हम किसानों के साथ हैं, हमें उनकी चिंता है.