'लोकतंत्र, बहुलवाद और विकास भारत की नींव...' जानिए आइडिया ऑफ इंडिया में क्या बोले चीफ एडिटर अतिदेब सरकार
Ideas Of India Live: आइडिया ऑफ इंडिया दो दिनों तक चलने वाला कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत शुक्रवार से हुई है. इसमें विज्ञान से लेकर राजनीति तक के मुद्दों पर बात हुई है.
ABP Network Ideas Of India Live: एबीपी नेटवर्क के सालाना शिखर सम्मेलन आइडिया ऑफ इंडिया का आयोजन शुक्रवार (23 फरवरी) को हुआ. इस मौके पर एबीपी नेटवर्क के चीफ एडिटर अतिदेब सरकार ने कहा कि ये कार्यक्रम अपने थीम 'पीपुल्स एजेंडा' एक प्रतियोगिता की बात करता है. भारत की आजादी को 70 साल हो गए हैं. प्रोफेसर और इतिहासकार सुनील खिलनानी का कहना है कि लोकतंत्र, बहुलवाद और विकास भारत की नींव हैं.
अतिदेब सरकार ने कहा कि प्रोफेसर खिलनानी गलत नहीं थे. लेकिन भारत के बारे में नेहरू के विचार को दूसरों ने हिलाकर रख दिया है. जैसे ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, यह विचार जोर पकड़ने लगा कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र होना चाहिए. 2018 में मोहन भागवत ने कहा कि हम एक ऐसा देश चाहते हैं, जो सक्षम हो. हालांकि, इसका इस्तेमाल दूसरों को दबाने के लिए नहीं किया जाए. यहां पर हमें एकजुट करने वाली चीज को हम हिंदुत्व कहते हैं.
'धर्म और सरकार का मिश्रण चरम पर पहुंचा'
एबीपी चीफ एडिटर ने कहा कि जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान आध्यात्मिक, धर्म और सरकार का मिश्रण अपने चरम पर पहुंच गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'राम भारत की आस्था हैं; राम भारत के आधार हैं. राम भारत के विचार हैं, राम भारत के संविधान हैं.' आज ये बात भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में है. आज की जनता एक निर्णायक नेतृत्व चाहती है. सोशल मीडिया के जमाने में आज की पीढ़ी थोड़ी अलग है, जो पैरेंट्स से ज्यादा दोस्तों की सुनती है.
वीर दास के बयान का जिक्र कर अतिदेब सरकार ने कही ये बात
अतिदेब सरकार ने कहा कि कॉमेडियन वीर दास ने 2021 में कहा था कि मैं दो भारत से आता हूं. एक जहां एक्यूआई 900 होता है, लेकिन फिर भी हम खुले आसमान में सोते हैं और सितारों को देखते हैं. एक जगह हम ट्विटर पर बंटे हुए होने की बात कहते हैं, लेकिन थिएटर के अंधेरे में उसी बॉलीवुड के बीच एकजुट होते हैं. एक जगह हम अपने घर में ठहाके लगाकर हंसते हैं, जिसे दीवारों के पार भी सुना जा सकता है. वहीं, दूसरी ओर कॉमेडी क्लब की दीवारों को तोड़ दिया जाता है, क्योंकि आप हमें भीतर से सुन सकते हैं.
उन्होंने कहा कि दूसरे भारत को भी अपनी आवाज ढूंढनी होगी. ऐसा करने के लिए उसे दो सवालों के जवाब पता लगाने होंगे. अगर राम राज्य नहीं तो क्या? और अगर मोदी नहीं तो कौन? तभी हमें असल प्रतियोगिता देखने को मिलेगी.
यह भी पढ़ें: Ideas of India LIVE: आदित्य मिशन भारत के लिए क्यों जरूरी है? खुद प्रोजेक्ट डायरेक्टर से जानिए इसका जवाब