सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस की जांच रिपोर्ट से खुलासा
एबीपी न्यूज़ के पास SFIO यानी सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस की वो जांच रिपोर्ट है, जिसमें सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है कि किस तरह विजय माल्या की किंगफिशर एय़रलाइन की फ्री टिकटों ने उसके लिए हथियार का काम किया. बड़े राजनेताओं से लेकर यूपीए सरकार के अधिकारी किंगफिशर की मेहरबानियों से देश-विदेश घूमने में लगे थे और माल्या बैकों को लूटने में.
रिपोर्ट में हैं माल्या को लोन मिलने के पीछे के कारण
SFIO ने विजय माल्या के खिलाफ जांच तब शुरू की जब वो बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा लेकर देश छोड़कर भाग गया. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी एक के बाद एक नई जानकारियां सामने आईं. इस रिपोर्ट में विजय माल्या को बैकों के जरिए लोन मिलने के पीछे के कारण बताए गए है. रिपोर्ट में कई बड़े नाम शामिल हैं.
रिपोर्ट में जो बडे नाम आए हैं उनके खिलाफ सबूत विजय माल्या के वो ई-मेल हैं जो छापे के दौरान उसके कंम्पयूटर से बरामद हुए हैं. इन दस्तावेजों में यूपीए सरकार के दौरान देश की सबसे ताकतवर हस्ती रहीं सोनिया गांधी के नाम का भी जिक्र है.
इस रिपोर्ट में कैसे और क्यों आया सोनिया गांधी का नाम?
SFIO की जांच रिपोर्ट में माल्या और उसके सहयोगियों के दो ई-मेल का जिक्र किया गया है. इन ई-मेल की तारीख 1 जून 2007 से 13 जुलाई 2007 औऱ 4 दिसंबर 2010 से 5 दिसंबर 2010 बताई गयी है. रिपोर्ट के मुताबिक, किंगफिशर एय़रलाइंस की सेल्स टीम के बड़े अधिकारी विजय अरोडा ने अपने वरिष्ठ लोगों को भेजे ई-मेल में कहा है कि सोनिया गांधी और उनका परिवार किंगफिशर एयरलाइंस से यात्रा कर रहा है.
ई-मेल के जवाब में माल्या ने दी अपनी सहमति
इस आशय की सूचना मैडम सोनिया गांधी के पीए पिल्लई ने दी है और कहा गया है कि सोनिया गांधी और उनके परिवार की इकनॉमिक क्लास की टिकटों को किंगफिशर एयरलाइंस खुद ही अपग्रेड करके फर्स्ट क्लास में कर दे. ई-मेल के जवाब में किंगफिशर एय़रलाइंस के कर्ताधर्ता विजय माल्या ने इस पर अपनी सहमति भी दी है.
27 दिसंबर 2010 को सोनिया गांधी के रिश्तेदारों के किंगफिशर एयरलाइंस से यात्रा किए जाने का जिक्र भी एक दूसरे ई-मेल में है. इस-ई मेल में भी सोनिया के रिश्तेदारों का टिकट फर्स्ट क्लास में अपग्रेड करने को कहा गया है. किंगफिशर एय़रलाइन ने बिना पैसे लिए ये टिकट भी फर्स्ट क्लास में अपग्रेड कर दिया.
साल 2007 और 2010 की हैं सभी जानकारियां
रिपोर्ट में दर्ज ये सारी जानकारियां साल 2007 और 2010 की हैं. तब देश में यूपीए की सरकार थी. ये वो वक्त था जब विजय माल्या देश के नामचीन उद्योगपति थे और बैंक उन्हें धड़ाधड़ लोन दे रहे थे. माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस एक निजी विमान सेवा कंपनी थी जो घाटे में चलनी शुरू हो गई थी.
ई-मेल में इकनॉमी क्लास के टिकट को फर्स्ट क्लास के टिकट में बिना पैसे लिए अपग्रेड करने की बात कही गई है. अगर कोई घरेलू उड़ान में है तो इकनॉमी क्लास से फर्स्ट क्लास में टिकट अपग्रेड करने के लिए उसे टिकट की कीमत से चार से पांच गुना ज्यादा भुगतान करना पड़ता है. अगर कोई विदेशी उड़ान का टिकट है तो इकनॉमी से फर्स्ट क्लास में टिकट बदलवाने में आठ से दस गुना ज्यादा तक कीमत देनी पड़ती है. एयरलाइंस प्रबंधन के पास अधिकार होता है कि वो टिकट अपग्रेड करने के बदले ग्राहक से पैसे ले या ना ले.
2012 में घाटे के चलते बंद हो गईं किंगफिशर की उड़ानें
किंगफिशर एयरलाइंस की उड़ानें 2005 में शुरू हुई थीं और सात साल बाद 2012 में घाटे के चलते उड़ानें बंद हो गईं. किंगफिशर एयरलाइन के पास घरेलू और विदेशी दोनों उड़ानों का लाइसेंस था.
रिपोर्ट में साफ लिखा है कि किंगफिशर एयरलाइंस भले ही घाटे में चल रही थी, लेकिन नेताओं पर उसकी मेहरबानियों ने विजय माल्या की लूट में हथियार की तरह काम किया. ये ऐसे हथियार थे, जिसने विजय माल्या की तरफ कोई उंगली नही उठने दी और विजय माल्या जम कर बैकों को इस हथियार के बल पर लूटता रहा और एक दिन वो नौ हजार करोड़ का लोन लेकर फरार हो गया.
(नोट- खबर लिखे जाने तक माल्या पर जांच रिपोर्ट में सोनिया गांधी के जिक्र पर कांग्रेस का पक्ष नहीं आया, एबीपी न्यूज़ ने कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को ई-मेल भेजकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन सुरजेवाला ने कोई जवाब नहीं दिया.)