ABP C-Voter Election Survey: हरिद्वार में धर्म संसद के मामले में राजनीतिक बयानबाजी हो चुकी है. हरिद्वार (Haridwar) में हाल में आयोजित ‘धर्म संसद’ के दौरान कुछ प्रतिभागियों के कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले की जांच के लिए रविवार को एसआईटी गठित की गई. गढ़वाल के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) के एस नागन्याल ने बताया कि मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) बनाई है. नागन्याल ने बताया कि अगर जांच में पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो गिरफ्तारी होगी.
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' को 'घृणा भाषण वाला सम्मेलन' करार दिया और इसकी निंदा की. विपक्षी दलों की मांग है के कि इस सम्मेलन में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. वहीं इस मामले पर हमने जनता की राय जानने की कोशिश की.
एबीपी सी वोटर के सर्वे में ये जाने की कोशिश की गई कि क्या धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने वालों की सरकार बचा रही है? इस सवाल के जवाब में 38 फीसदी लोगों ने माना कि हां सरकार ऐसे लोगों को बचा रही है. वहीं 40 फीसदी लोगों ने माना कि नहीं सरकार भड़काऊ भाषण देने वालों को नहीं बचा रही. वहीं 22 फीसदी जनता ने इसका जवाब पता नहीं मे दिया.
धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने वालों को सरकार बचा रही है ?
हां 38%
नहीं 40%
पता नहीं 22%
मामले में पांच लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिनमें वसीम रिजवी, जिन्होंने पिछले महीने हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नरायण त्यागी नाम रख लिया है, साधवी अन्नपूर्णा धर्मदास, संत सिंधु सागर और धर्म संसद के आयोजक और गाजियाबाद के डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिम्हानंद शामिल हैं.