सरकार 2.0: C Voter Survey-कोरोना काल में क्या है देश की जनता का मूड, क्यों और किससे नाराज हैं लोग? जानें सर्वे में
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का 2 साल पूरा होने जा रहा है. इस मौके पर abp न्यूज़ के लिए सी-वोटर ने देश की जनता का मूड जानने की कोशिश की और उनसे कई सवाल पूछे. पल-पल अपडेट्स के लिए आप बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ...
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देश कोरोना संकट की चुनौतियों से गुजर रहा है. इस महामारी से कोई ऐसा परिवार नहीं है जिस पर सीधा और परोक्ष तौर पर असर ना हुआ हो. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को 2 साल पूरा होने जा रहा है. इस मौके पर एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने देश की जनता का मूड जानने की कोशिश की है.
देश में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना महामारी है. आज मोदी सरकार के दूसरी कार्यकाल में कोरोना को लेकर देश क्या सोच रहा है? क्या सरकार ने कोरोना प्रबंधन का काम ठीक से किया या नहीं और वैक्सीन को लेकर आखिर सरकार के काम के बारे में क्या सोचती है जनता. इन सभी सवालों पर आप देश के मूड में जनता की राय जान पाएंगे.
(ये स्नैप पोल 23 से 27 मई के बीच किया गया है. इस सर्वे में 12 हजार 70 लोगों से बात की गई है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसदी तक है.)
भारत की आज सबसे बड़ी परेशानी क्या है?
36 फीसदी लोगों ने कोरोना को बताया. 18 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी, 10 फीसदी लोगों ने महंगाई, 7 फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार, पांच फीसदी लोगों ने गरीबी और चार फीसदी लोगों ने कृषि को बड़ी परेशानी बताया.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोगों की सबसे बड़ी नाराजगी क्या है?
44 फीसदी शहरी और 40 फीसदी ग्रामीण लोगों ने कहा कि कोरोना से निपटना. वहीं 20 फीसदी शहरी लोगों ने और 25 फीसदी ग्रामीण लोगों ने कहा कि कृषि कानून. 9-9 फीसदी शहरी और ग्रामीण लोगों ने कहा कि CAA पर दिल्ली दंगे. वहीं 10 फीसदी ग्रामीण और 7 फीसदी शहरी लोगों ने भारत-चीन सीमा विवाद को बताया. 20 फीसदी शहरी और 17 फीसदी ग्रामीण लोगों ने अन्य मुद्दों का जिक्र किया.
दूसरी लहर में प्रधानमंत्री का प्रचार सही?
जब जनता से सर्वे के दौरान यह पूछा गया कि क्या दूसरी लहर में प्रधानमंत्री का प्रचार सही है. इसके जवाब में 34 फीसदी शहरी और 29 फीसदी ग्रामीण ने हां में जवाब दिया. 58 फीसदी शहरी और 61 फीसदी ग्रामीणों ने नहीं में जवाब दिया. जबकि 8 फीसदी शहरी और 10 फीसदी ग्रामीण ने कहा कि वे कुछ नहीं बता सकते हैं. यानी, शहरी और ग्रामीण दोनों को यह पसंद नहीं आया. दूसरी लहर के बावजूद प्रचार से जनता नाराज है.
कोरोनाकाल में सेंट्रल विस्टा निर्माण सही?
जब लोगों से सी-वोटर सर्वे के दौरान यह सवाल किया गया कि क्या कोरोनाकाल में सेंट्रल विस्टा का निर्माण सही है. इसके जवब में 48 फीसदी शहरी और 39 फीसदी ग्रामीण ने हां में जवाब दिया. 29 फीसदी शहरी और 36 फीसदी ग्रामीणों ने नहीं में जवाब दिया. तो वहीं 23 फीसदी शहरी और 25 फीसदी ग्रामीणों ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं. यानी, सेंट्रल विस्टा का निर्माण ज्यादातर लोग गलत नहीं मानते हैं.
कुंभ शुरू से सांकेतिक ही रहता?
कुंभ को लेकर जब जनता से यह सवाल किया गया कि क्या कुंभ शुरू से सांकेतिक ही रहता. इसके जवाब में 58 फीसदी शहरी और 54 फीसदी ग्रामीण ने हां में जवाब दिया. 22 फीसदी शहरी और 19 फीसदी ग्रामीण ने नहीं में जवाब दिया. जबकि 20 फीसदी शहरी और 27 फीसदी शहरी ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं.