ABP C-Voter Survey for Punjab Election 2022: पंजाब कांग्रेस में सियासी घमासान कोई नया नहीं है. नई पार्टी बनाने वाले पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और सिद्धू की खींचतान का ही नतीजा था कि अमरिंदर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. हालांकि कांग्रेस की मुश्किले इसके बावजूद आसान नहीं हुईं. चरणजीत सिंह चन्नी और सिद्धू की आंतरिक कलह ने पार्टी आलाकमान का टेंपरेचर बढ़ा दिया. पिछले हफ्ते दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया गया, जिसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी और सिद्धू के तेवर एक-दूसरे के लिए नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि दोनों को ही पंजाब विधानसभा के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी की अहम कमेटियों से थोड़ा दूर रखा गया है. कांग्रेस पार्टी ने इन कमेटियों में सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar), अंबिका सोनी और प्रकाश बाजवा जैसे दिग्गज नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं.
चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) और नवजोत सिंह सिद्धू को सिर्फ स्क्रीनिंग कमेटी में ही जगह दी गई है. ऐसा माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी टिकट बंटवारे में अब ज्यादा दखलअंदाजी नहीं कर पाएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए सिद्धू आगामाी विधानसभा चुनावों में फायदे का सौदा साबित होंगे. वहीं दूसरा सवाल ये भी है कि कैप्टन की नई पार्टी से पार्टी को राज्य के विधानसभा चुनाव में कितना नुकसान होगा.
एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे के मुताबिक 40 फीसदी लोगों का मानना है कि सिद्धू कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा साबित होंगे. वहीं करीब 60 फीसदी लोगों का मानना है कि सिद्धू कांग्रेस के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव में नुकसानदायक साबित होंगे.
कांग्रेस के लिए सिद्धू फायदेमंद या नुकसानदायक ?
फायदेमंद-40%
नुकसानदायक-60%
सर्वे में एक और सवाल पूछा गया था कि कैप्टन की नई पार्टी से कांग्रेस को कितना नुकसान होगा. सर्वे के मुताबिक 40 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा. 32 फीसदी लोगों ने बताया कि इससे कांग्रेस कम नुकसान में होगी. वहीं 28 फीसदी लोगों का मानना था कि कांग्रेस को इससे कोई नुकसान नहीं होगा.
कैप्टन की नई पार्टी से कांग्रेस को कितना नुकसान ?
ज्यादा-40%
कम-32%
नहीं -28%
नोट: 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान अगले कुछ दिनों में हो जाएगा. चुनावी राज्यों में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. abp न्यूज के लिए सी वोटर ने चुनावी राज्यों का मूड जाना है. 5 राज्यों के इस सबसे बड़े सर्वे में 92 हजार से ज्यादा लोगों की राय ली गई है. चुनावी राज्यों की सभी 690 विधानसभा सीटों पर लोगों से बात की गई है. सर्वे 13 नवंबर से 9 दिसंबर के बीच किया गया है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर माइनस प्लस तीन से माइनस प्लस 5 फीसदी है.