Survey On Rajasthan Political Crisis: लोकसभा चुनाव के लिए करीब डेढ़ साल साल का वक्त रह गया है और कांग्रेस में वक्त एक बड़ी करवट ले रहा है. कांग्रेस (Congress) को करीब 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर कोई अध्यक्ष मिलने वाला है. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर काफी हलचल भी रही है. इस दौरान राजस्थान कांग्रेस में गहलोत समर्थक विधायकों की बगावत भी देखने को मिली है. इस पर देश का मूड जानने के लिए सी-वोटर ने abp न्यूज़ के लिए त्वरित सर्वे किया. 


सर्वे में सवाल किया गया कि क्या गहलोत के समर्थकों पर कार्रवाई होनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में जनता ने चौंकाने वाले जवाब दिए हैं. सर्वे में 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां गहलोत के समर्थकों पर कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. 


क्या गहलोत के समर्थकों पर कार्रवाई होनी चाहिए? 


हां-   62%
नहीं- 38% 


गहलोत खेमे के विधायकों की बगावत


गौरतलब है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा थी. अशोक गहलोत के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही जा रही थी. इस मुद्दे को लेकर जयपुर में विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई थी. जिसके लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था. हालांकि गहलोत खेमे के विधायक इस बैठक से पहले ही बागी हो गए. उन्होंने मंत्री शांति धारीवाल के घर पर अलग से बैठक की और सचिन पायलट के नाम पर ऐतराज जताया. 


कांग्रेस ने की कार्रवाई


कई विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया था. इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को सौंपी गई थी. राजस्थान के घटनाक्रम पर पार्टी ने गहलोत के करीबियों पर एक्शन लिया. कांग्रेस ने महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौर और शांति धारीवाल को कारण बताओ नोटिस भेजकर दस दिनों में जवाब मांगा. 


 


नोट: इस सर्वे में 4427 लोगों से बात की गई है. सर्वे के नतीजे पूरी तरह से लोगों से की गई बातचीत और उनके द्वारा व्यक्त की गई राय पर आधारित हैं. इसके लिए abp न्यूज़ ज़िम्मेदार नहीं है. 


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