मोदी सरकार का 5 हस्तियों को भारत रत्न देने का ऐलान, क्या बीजेपी को होगा सियासी फायदा? सर्वे में जनता ने चौंकाया
CVoter Survey: 2004 में भारत रत्न देने के लिए सबसे ज्यादा नामों की घोषणा हुई है. मोदी सरकार ने हाल में पांच लोगों के नामों का ऐलान किया, उसका क्या राजनीति पर प्रभाव होगा. सर्वे में लोगों ने राय दी है.
Abp News CVoter Survey: इस साल मोदी सरकार अब तक 5 हस्तियों को भारत रत्न का सम्मान देने का ऐलान कर चुकी हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले के सियासी असर को समझने के लिए abp न्यूज के लिए C VOTER ने त्वरित सर्वे किया है.
5 हस्तियों को भारत रत्न का ऐलान करने से क्या बीजेपी को सियासी फायदा होगा? इस सवाल के जवाब में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि यह पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक है. 17 फीसदी लोगों ने कहा कि इसका जनता पर कोई असर नहीं होगा.
30 फीसदी लोगों का मानना है कि अवॉर्ड का सियासी इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, 12 फीसदी लोगों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकते हैं.
सर्वे में लोगों ने क्या कहा?
- मोदी को मास्टर स्ट्रोक 41 फीसदी
- जनता पर असर नहीं 17 फीसदी
- अवॉर्ड का सियासी इस्तेमाल 30 फीसदी
- कह नहीं सकते 12 फीसदी
पीएम मोदी ने की थी 'भारत रत्न' की घोषणा
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करके पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की थी. इससे कुछ ही दिन पहले पीएम मोदी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के लिए भी भारत रत्न सम्मान की घोषणा की थी.
इस तरह से 2024 में एक बार में सबसे ज्यादा पांच व्यक्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा की गई. इससे पहले 1999 में एक बार में चार लोगों के लिए भारत रत्न सम्मान की घोषणा की गई थी. पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के लिए भारत रत्न की घोषणा के साथ ही देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वालों की कुल संख्या बढ़कर 53 हो गई है.
इन नेताओं के लिए भारत रत्न सम्मान की घोषणा का कई पार्टियों ने स्वागत किया है. वहीं, इसे लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर राजनीति करने का भी आरोप लगा रहा है.
नोट- यह सर्वे आज ही किया गया है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसद है.
ये भी पढ़ें: आम चुनाव, 2024: जनमत निर्माण से लेकर मुद्दा गढ़ने तक राजनीतिक दल ही हैं हावी, आम जनता बस मूकदर्शक