ABP News CVoter Survey: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ शीर्ष नेताओं ने जाने से इनकार किया है, जिसके बाद कड़ाके की ठंड में सियासी पारा एकदम चढ़ गया.
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि बीजेपी चुनावी लाभ के लिए प्राण प्रतिष्ठा को राजनीतिक कार्यक्रम बना रही है. कांग्रेस ने धर्म को एक व्यक्तिगत मामला बताया है.
बीजेपी ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के इस रुख की आलोचना की है और दावा किया कि इससे भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति पार्टी का स्वाभाविक विरोध उजागर हो गया है.
दिलचस्प बात यह भी है कि कांग्रेस अध्यक्ष और सोनिया गांधी की ओर से राम मंदिर का निमंत्रण का न कहने के बाद भी उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि वह मकर संक्रांति को अयोध्या जाएंगे. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने गुरुवार (11 जनवरी) को फोन पर कहा कि वह, कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य नेताओं के साथ तय कार्यक्रम के मुताबिक, 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर अयोध्या जाएंगे. उन्होंने कहा कि उनके कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है.
इस बीच एबीपी न्यूज के लिए सी वोटर ने एक त्वरित सर्वे किया है और यह जानने की कोशिश की गई है कि क्या अयोध्या को लेकर इंडिया अलायंस के नेता भी कांग्रेस की रणनीति को फॉलो करेंगे? इस सवाल पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई.
सर्वे में सबसे ज्यादा 35 फीसदी लोगों ने 'हां' में जवाब दिया. यानी इन लोगों का मानना है कि इंडिया गठबंधन के नेता भी अयोध्या न जाने की कांग्रेस की रणनीति को फॉलो करेंगे. 31 फीसदी लोगों ने 'नहीं' में जवाब दिया. वहीं, 34 फीसदी लोगों ने कहा कि वे इस बारे में कुछ 'कह नहीं सकते' हैं.
क्या I.N.D.I.A. के नेता भी कांग्रेस की रणनीति को फॉलो करेंगे?
सोर्स- सी वोटर
हां- 35%
नहीं- 31%
कह नहीं सकते- 34%
आखिर कौन-कौन से दल अयोध्या नहीं जाने के फैसले पर कांग्रेस के साथ?
अयोध्या नहीं जाने के फैसले पर समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ खड़ी दिखती है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयानों से यही लगता है. उन्होंने वीएचपी नेता आलोक कुमार का न्योता ठुकरा दिया है. बिहार में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के नेता भी बीजेपी पर राम मंदिर का सियासीकरण करने का आरोप लगा रहे हैं.
वहीं, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना (यूबीटी) की लाइन अभी स्पष्ट नहीं है. पार्टी नेता संजय राउत के बयानों से लगता है कि उद्धव ठाकरे जाना तो चाहते हैं लेकिन अपनी शर्तों पर. वैसे अभी तक उद्धव ठाकरे को औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है.
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