नई दिल्लीः जम्मू में अवैध तरीके से रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों को रणनीति के साथ हटाया जाएगा. अवैध रूप से बसे रोहिंग्या मुस्लिमों पर विदेशी नागरिकता कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है. गृह मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर के बड़े अफसरों को ये निर्देश दिए गए हैं.
तीन फरवरी को एबीपी न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे जम्मू में 10 से बाहर हजार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से आकर बस गए हैं. जो पाकिस्तानी एंजेसी ISI के इशारे पर कभी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं.
क्या है रोहिंग्या मुसलमानों का पूरा मुद्दा?
जम्मू शहर के बीचोंबीच पॉश इलाके नरवाल में बने विवादित कैंप में इस वक्त हजारों की तादाद में म्यांमार से आए मुसलमान परिवार शरण लिए हुए हैं. जम्मू में आकर शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमान देश की सुरक्षा पर खतरा माने जा रहे हैं.
रोहिंग्या मुसलमानों का वजूद भारत के पड़ोसी देश म्यांमार से जुड़ा हुआ है. जहां 1982 के कानून के आधार पर म्यांमार में इनसे नागरिकता का अधिकार छीन लिया गया. म्यांमार में हुए दमन के बाद रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश, थाईलैंड और भारत के कई हिस्सों में जाकर बसने लगे.
भारत में एक अनुमान के मुताबिक 36 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत के अलग अलग हिस्सों में शरण लिए हुए हैं. उन्हीं में से एक जगह जम्मू भी है. जहां शरणार्थी कैंप में हजारों रोहिंग्या मुसलमान आकर बस गए हैं.